तेजस्वी यादव का मास्टरस्ट्रोक! दो सीटों से उतरने की तैयारी !

बिहार चुनाव 2025: दो सीटों पर नामांकन कर सकते हैं तेजस्वी यादव , आरजेडी की नजर एमवाई के अलावा अति पिछड़ा जाति के वोट बैंक पर भी है. 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बजने से पहले ही सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार चुनावी समर में आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का प्लान कुछ बड़ा नजर आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव इस बार दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं — अपनी परंपरागत राघोपुर सीट के साथ-साथ मिथिलांचल की अहम फुलपरास सीट (मधुबनी जिला) से भी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। यह कदम बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।

तेजस्वी यादव का मास्टरस्ट्रोक! दो सीटों से उतरने की तैयारी !
तेजस्वी यादव का मास्टरस्ट्रोक! दो सीटों से उतरने की तैयारी !

तेजस्वी यादव फिलहाल राघोपुर से विधायक हैं, जो लालू परिवार की सियासी विरासत मानी जाती है। लेकिन इस बार फुलपरास से चुनाव लड़ने की चर्चा तेज है। फुलपरास सीट का ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व बहुत गहरा है — जननायक कर्पूरी ठाकुर भी इसी सीट से विधायक रह चुके हैं। ऐसे में तेजस्वी का यहां से उतरना न सिर्फ एक प्रतीकात्मक संदेश देगा, बल्कि मिथिलांचल में RJD की पकड़ मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा भी है।

RJD का जातीय समीकरण साधने का प्लान

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी का यह फैसला EBC (अति पिछड़ा वर्ग) और मुस्लिम-यादव (एमवाई) वोट बैंक को एक साथ साधने की कोशिश है। बिहार में EBC समुदाय की आबादी लगभग 36 प्रतिशत है — यानी किसी भी दल की चुनावी सफलता के लिए यह वर्ग निर्णायक भूमिका निभाता है।

आरजेडी पर लंबे समय से आरोप लगता रहा है कि वह केवल यादव-मुस्लिम समीकरण पर निर्भर रहती है, लेकिन अब पार्टी इस धारणा को बदलने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसी रणनीति के तहत तेजस्वी यादव ने हाल ही में मंगनी लाल मंडल को आरजेडी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। मंगनी लाल मंडल फुलपरास के ही रहने वाले हैं और EBC समाज के बड़े चेहरे माने जाते हैं। उनका चेहरा मिथिलांचल में आरजेडी की नई पहचान बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है।

मिथिलांचल में RJD की जड़ें मजबूत करने की कोशिश

मधुबनी, दरभंगा और सुपौल जैसे जिलों में अब तक आरजेडी की पकड़ कमजोर मानी जाती रही है। इन इलाकों में जेडीयू और बीजेपी का जनाधार मजबूत रहा है। लेकिन फुलपरास से तेजस्वी यादव के उतरने की संभावनाओं ने राजनीतिक समीकरणों में हलचल मचा दी है। अगर तेजस्वी यहां से चुनाव लड़ते हैं, तो यह क्षेत्रीय मतदाताओं के लिए “बड़े चेहरे” की उपस्थिति साबित हो सकती है, जिससे विपक्षी पार्टियों के समीकरण बिगड़ सकते हैं।

मिथिलांचल में RJD की जड़ें मजबूत करने की कोशिश
मिथिलांचल में RJD की जड़ें मजबूत करने की कोशिश

आरजेडी की योजना साफ है — राघोपुर से परंपरागत वोटबैंक को कायम रखना और फुलपरास से EBC और मिथिलांचल के मतदाताओं को जोड़ना। इस तरह पार्टी उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार दोनों क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रही है।

कर्पूरी ठाकुर की विरासत से जुड़ने की कोशिश

तेजस्वी यादव का फुलपरास से उतरना केवल राजनीतिक नहीं बल्कि भावनात्मक और प्रतीकात्मक संदेश भी है। कर्पूरी ठाकुर, जो पिछड़ों की राजनीति के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं, का इसी क्षेत्र से गहरा नाता रहा है। तेजस्वी यादव का यहां से चुनाव लड़ना “कर्पूरी लाइन” की राजनीति को सम्मान देने जैसा माना जा रहा है। इससे RJD को यह संदेश देने में मदद मिल सकती है कि वह सिर्फ यादव-मुस्लिम राजनीति तक सीमित नहीं, बल्कि संपूर्ण पिछड़ा वर्ग की आवाज बनना चाहती है।

विपक्ष की नजर भी तेजस्वी के कदम पर

तेजस्वी यादव के इस संभावित फैसले ने जेडीयू और बीजेपी दोनों को चौकन्ना कर दिया है। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “फुलपरास से तेजस्वी यादव का उतरना हमारे लिए चुनौती जरूर है, लेकिन वहां संगठन और जातीय समीकरण हमारे पक्ष में हैं।” वहीं बीजेपी ने इसे “पॉलिटिकल गिमिक” बताया है और कहा है कि तेजस्वी यादव को अब अपनी परंपरागत सीट पर भरोसा नहीं रहा।

हालांकि, आरजेडी खेमे का दावा है कि तेजस्वी यादव का दो सीटों से उतरना “बड़ा संदेश” देगा — कि वे पूरे बिहार की राजनीति के नेता हैं, न कि सिर्फ सीमित वर्ग के।

निष्कर्ष

तेजस्वी यादव अगर सच में दो सीटों से चुनाव लड़ते हैं, तो यह बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक और रणनीतिक फैसला होगा। फुलपरास से उतरना न केवल मिथिलांचल में आरजेडी की मौजूदगी को मजबूत करेगा, बल्कि EBC वोटरों को जोड़ने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि तेजस्वी यादव इस “डबल सीट” रणनीति को कब और कैसे औपचारिक रूप से घोषित करते हैं — क्योंकि यह फैसला बिहार चुनाव 2025 की सियासी हवा का रुख तय कर सकता है।

Also Read :

चिराग पासवान की वापसी! फिर JDU के लिए बनेगा सिरदर्द?