रामपुर में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खां के बीच महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। यह मुलाकात आज़म खां की जेल से रिहाई के बाद पहली बार हुई, जो कि राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके वरिष्ठ नेताओं की गतिविधियां हमेशा सुर्खियों में रहती हैं। 8 अक्टूबर 2025 को बुधवार को, पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रामपुर में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान से मुलाकात की। इस मुलाकात को राजनीतिक हलकों में महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है, खासकर आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव की दृष्टि से।

अखिलेश यादव लखनऊ से बरेली होते हुए रामपुर पहुंचे और सीधे आजम खान के निजी आवास पर पहुंचे। मुलाकात का स्वरूप काफी निजी और गैर-आधिकारिक था, लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक विश्लेषक इसे सपा की आगामी रणनीति और 2027 के लिए संदेश के रूप में देख रहे हैं।
अखिलेश का बयान: मुलाकात का उद्देश्य

मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए अखिलेश यादव ने कहा:
“मैं आजम खान साहब का स्वास्थ्य हाल-चाल लेने आया हूं। मैं पहले जेल मिलने नहीं पहुंच पाया था। आजम साहब पुराने नेता हैं, हमारे लिए दरख्त की तरह हैं। उन्हें न्याय मिले। उनके ऊपर, उनके बेटे और पत्नी पर झूठे मुकदमे लगे हैं। राजनीतिक परिवार के खिलाफ गलत केस दर्ज किए गए हैं।”
अखिलेश का यह बयान सपा की मुलाकात को सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश देने वाला बताता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुलाकात का उद्देश्य आजम खान के स्वास्थ्य और न्यायिक मामलों पर समर्थन देना है।
आजम खान और उनके मुकदमों की चर्चा
आजम खान उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा हैं। उनके परिवार पर कई आपराधिक और राजनीतिक आरोप लगे हैं, जिनमें उनकी पत्नी और बेटे के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इन मुकदमों को राजनीतिक उत्पीड़न और झूठे आरोप बताया।
अखिलेश ने कहा कि:
“आजम साहब पर सबसे ज्यादा मामले राजनीतिक रूप से लगाए गए हैं। यह कोई व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि राजनीतिक विरोध का हिस्सा है।”
विशेषज्ञ मानते हैं कि अखिलेश का यह बयान सिर्फ आजम खान के समर्थन का प्रतीक नहीं, बल्कि सपा की अगले चुनाव में एकजुटता दिखाने की रणनीति भी है।
राजनीतिक महत्व
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह मुलाकात सपा के भीतर पुराने मतभेदों और दूरी को कम करने का संकेत है। पिछले कुछ वर्षों में अखिलेश यादव और आजम खान के बीच मतभेद देखे गए थे, लेकिन इस मुलाकात से यह संकेत मिलता है कि सपा 2027 की तैयारी में एकजुट होने की कोशिश कर रही है।
विशेष रूप से रामपुर और आसपास के जिलों में आजम खान का प्रभाव काफी मजबूत है। इस मुलाकात के जरिए सपा ने यह दिखाया कि यादव-मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग वोट बैंक को साथ जोड़ना पार्टी की प्राथमिकता है।
सपा और विपक्ष की प्रतिक्रिया
सपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने इस मुलाकात को सकारात्मक रूप में लिया है। सोशल मीडिया पर भी यह चर्चा तेज हो गई है कि यह मुलाकात सपा की ताकत और एकजुटता का प्रतीक है।
वहीं, विपक्षी दल इसे सपा की रणनीति और आगामी चुनाव की तैयारी का संकेत मान रहे हैं। बीजेपी और अन्य दलों के वरिष्ठ नेताओं ने इसे ध्यान से देखा और कहा कि यह मुलाकात राजनीतिक संदेश देने का हिस्सा है।
भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुलाकात से आने वाले समय में सपा के भीतर पुराने विवाद सुलझ सकते हैं और पार्टी की रणनीति मजबूत हो सकती है।
- रामपुर जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में आजम खान का समर्थन सपा के लिए महत्वपूर्ण है।
- अखिलेश यादव और आजम खान की एकजुटता से यादव और मुस्लिम वोट बैंक को जोड़ने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
8 अक्टूबर 2025 को रामपुर में हुई यह मुलाकात सिर्फ व्यक्तिगत नहीं थी। यह सपा का 2027 के लिए बड़ा संदेश भी माना जा रहा है कि पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ एकजुट होकर चुनाव की रणनीति बनाने जा रही है।
अखिलेश यादव द्वारा आजम खान के समर्थन और उनके परिवार पर लगे मुकदमों को झूठा बताना यह दर्शाता है कि सपा अपने पुराने नेताओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय है।
अब सबकी नजरें यह देखने पर हैं कि इस मुलाकात के बाद सपा की आगामी रणनीति और चुनावी समीकरण में क्या बदलाव होंगे, और रामपुर और आसपास के इलाकों में इसका मतदाता और राजनीतिक असर कैसे दिखाई देगा।
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