ग्वालियर चंबल अंचल में इस समय एक शादी समारोह की खूब चर्चा हो रही है। इसका कारण है कि अंचल के रहने वाले एक युवक ने जर्मनी की युवकी से विवाह किया गया। हमारे देश के युवा जहां पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं, वहीं पश्चिम के युवा भारतीय संस्कृति को न सिर्फ आत्मसात कर रहे हैं, बल्कि भारत के युवाओं से शादी करने से नहीं हिचक रहे हैं। ग्वालियर के राहुल बोहरे पिछले आठ साल से जर्मनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर काम कर रहे हैं। जहां, उनकी दोस्ती कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट में काम करने वाली एमिली से हो गई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। प्यार और शादी दोनों के ही प्रपोजल राहुल की ओर से रखे गए। इन्हें स्वीकार करने में एमिली ने बिना हिचके तुरंत हां कर दी, क्योंकि पहले ही दिन से वो राहुल को अपना लाइफ पार्टनर मान चुकी थी। इस शादी की सबसे बड़ी खास बात यह है कि एक पंरपरावादी ब्राह्मण परिवार के होते हुए राहुल को यह भरोसा था कि उनके माता-पिता जरूर उसकी भावनाओं को समझेंगे। राहुल ने अपने पिता हरिमोहन बोहरे को अपनी भावना से अवगत कराया। हरिमोहन ने यह कहकर एक लाइन में हां कर दी कि बच्चों की खुशी में ही हमारी खुशी है। बोहरे परिवार के हां करते ही जर्मनी और ग्वालियर दोनों ही जगह शादी की तैयारियां प्रारंभ हो गईं, क्योंकि एमिली के परिजनों को तो पहले से ही कोई ऐतराज नहीं था। अब दोनों शादी के बंधन में बंध गए हैं। ग्वालियर में हुई इस चर्चित शादी में भले ही भारत और जर्मनी दो संस्कृतियों का मिलन देखने को मिला। लेकिन विवाह की सभी रस्में भारतीय पंरपरा के अनुसार ही पूरी की गईं। जयमाला के साथ राहुल-एमिली ने अग्नि के समक्ष वेद-मंत्रोंच्चार की पवित्र ध्वनि के बीच सात फेरे लिए। राहुल और एमिली ने अग्नि के सात फेरे लिए तो हर फेरे पर वेद मंत्र उच्चारित किए गए। अनुवादकों ने हर वेदमंत्र यानि किस फेरे का क्या महत्व है, दूल्हा-दुल्हन को बताया।
