सोहम शाह की अनकही कहानी में ‘तुम्बाड’ के हस्तर से भी बड़ा सस्पेंस !

अभिनेता-निर्माता सोहम शाह हमेशा से ही कुछ अलग और रोमांचक करने के लिए जाने जाते हैं। वो कंटेंट से हमेशा ही लोगों को प्रभावित करते रहे हैं। ‘शिप ऑफ थीसस’ और ‘तुम्बाड’, दोनों ही फिल्मों में उन्होंने क्रिटिक्स का दिल जीता। बहुमुखी व्यक्तित्व वाले इस अभिनेता ने इस बार लोगों को क्रेजी करने की ठानी और इसमें काफी हद तक कामयाब होते भी नजर आ रहे हैं। ‘क्रेजी’ के लिए सोहम शाह ने निर्देशक गिरीश कोहली के साथ मिलकर काम किया है। एक्टर एक बार फिर सिनमाप्रेमियों की उम्मीद पर खरे उतरते दिख रहे हैं।

स्टोरीलाइन

शुरू करते हैं फिल्म की कहानी से, जो  1 अप्रैल के दिन से शुरू होती है। ठीक इसी दिन डॉ. अभिमन्यु सूद (सोहम शाह) 5 करोड़ रुपये लेकर अस्पताल जाते हुए दिखाई देते हैं, जिसे उन्हें अपने एक मृत मरीज के परिवार को आउट-ऑफ-द-कोर्ट सेटलमेंट के तौर पर देना है, जिसकी मौत उनकी और अस्पताल की लापरवाही की वजह से हुई थी। जब वह रास्ते में होता है, तभी एक अनजान शख्स का फोन कॉल आता है, जो बताता है कि उसने उसकी बेटी वेदिका का अपहरण कर लिया है और 5 करोड़ रुपये की फिरौती मांगता है। अब इस स्थिति में हालात बदल जाते हैं। डॉ. अभिमन्यु सूद की हालत ढीली हो जाती है। और ऐसे में अलग-अलग विचार उसके दिमाग में आने लगते हैं। अब यही से डॉ. अभिमन्यु सूद की असल चेहरा सामने आता है। वह एक संदिग्ध व्यक्ति और एक बुरा पिता है क्योंकि जब उसे पता चला कि उसकी बेटी को डाउन सिंड्रोम है, तो वह अपनी पत्नी का गर्भपात कराना चाहता था। उसने वेदिका की वजह से बॉबी (पूर्व पत्नी) से अपनी शादी तोड़ दी और उस पर चिल्लाया कि उसे वेदिका की वजह से शर्म आती है। वह उसके जैसी होशियार और बुद्धिमान बेटी चाहता है। ऐसे में अभिमन्यू के दिमाग में एक ही ख्याल आता है कि अगर वो पैसा पेशेंट के परिवार के नहीं देगा तो उसे जेल जाना पड़ेगा। 

पहले तो अभिमन्यु को लगता है कि यह एक प्रैंक कॉल है, लेकिन बाद में उसे पता चलता है कि सच में अपहरण हुआ है। वह अपहरणकर्ता के फोन से वीडियो कॉल के जरिए अपनी बेटी को देखता है। इसी दौरान पता चलता है कि बेटी का स्कूल टीचर प्रसाद ही अपहरणकर्ता (टीनू आनंद) है। अब अभिमन्यु कौन सा रास्ता चुनेगा? क्या वह अपने बारे में सोचेगा या अपनी बेटी की जान बचाएगा? खैर इसके लिए आपको बड़े पर्दे पर ‘क्रेजी’ देखना पड़ेगा, जो आपको एक रोमांचकारी सफर पर ले जाएगी। 

लेखन और निर्देशन

लेखक और निर्देशक दोनों ही गिरीश कोहली हैं, जिन्होंने पहले ‘केसरी’, ‘मॉम’ और ‘हिट: द फर्स्ट केस’ जैसी कमाल की फिल्में बनाई हैं। इन्होंने हमेशा ही ठोस कहानी को चुना है। अपनी कहानी के जरिये ये गहरा प्रभाव छोड़ने के लिए जाने जाते हैं। इस बार भी ये आपको हैरत में डालेंगे। कहानी में घोर सस्पेंस और थ्रिलिंग मोमेंट्स हैं, जो आपको कुर्सी से उछलने पर बार-बार मजबूर करेंगे। फिल्म की कहानी में कई नए मोड़ और ट्विस्ट आते हैं, जो ये सोचने पर बार-बार  मजबूर करते हैं कि अब आगे क्या होगा। कहानी कहीं भी बोझिल नहीं करती और तेज रफ्तार के साथ आगे बढ़ती है। ऐसे में आप एक भी मोमेंट को छोड़ना नहीं चाहेंगे। खैर, स्क्रीन पर सिर्फ एक किरदार के साथ मनोरंजक फिल्म बनाना आसान नहीं होता है। गिरीश और सोहम की जोड़ी ने इसे भी सहजता और सरलता से कर दिखाया है। इसके लिए ये तारीफ के पूरे हकदार हैं। वैसे अगर आप सोच रहे हैं कि फिल्म में आपका दिमाग जाया न हो तो ऐसा नहीं होने वाला। ये फिल्म घर पर दिमाग छोड़कर जाने वाली नहीं है, कई जगहों पर ये आपको बेचैन करेगी और आप अभिमन्यु की स्थिति को देखते हुए अलग-अलग दिशा में सोचने पर मजबूर होंगे।

अभिनय

अभिनय की बात करें तो सोहम शाह ने बेहतरीन अभिनय किया है और अभिनेता ने एक बार फिर हमें इंप्रेस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ये पूरी तरह से एक तरफा उनकी फिल्म हैं। हाल के दिनों में रिलीज हुई बेहतरीन थ्रिलर फिल्मों की लिस्ट में इसे भी जोड़ा जा सकता है। फिल्म के दूसरे हिस्से को पूरी तरह से सोहम शाह संभालते दिखते हैं। ये फिल्म सोहम शाह की कैप में एक और पंख जोड़ रही है।