“सियासत में DNA टेस्ट! अखिलेश बनाम पाठक की ज़ुबानी जंग”

समाजवादी पार्टी मीडिया सेल की ओर से यूपी के डिप्टी सीएम के खिलाफ प्रयोग में लाए गए शब्दों पर विवाद गहरा गया है। ब्रजेश पाठक की आपत्ति के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया सामने आई।

उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर से बयानबाजी का दौर तेज हो गया है. उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक द्वारा समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं की डीएनए जांच कराए जाने की टिप्पणी पर अब विवाद और गहराता जा रहा है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा को घेरा है. वहीं, बृजेश पाठक ने पलटवार करते हुए सपा नेताओं को लोहिया और जयप्रकाश नारायण का अध्ययन करने की नसीहत दी है.

"सियासत में DNA टेस्ट! अखिलेश बनाम पाठक की ज़ुबानी जंग"
“सियासत में DNA टेस्ट! अखिलेश बनाम पाठक की ज़ुबानी जंग”

डिप्टी सीएम ने क्या कहा?

डिप्टी सीएम ने क्या कहा?
डिप्टी सीएम ने क्या कहा?

बृजेश पाठक ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं का डीएनए टेस्ट कराया जाना चाहिए, जिससे यह पता चल सके कि वे वंशवाद और परिवारवाद की राजनीति में कितने लिप्त हैं. उनके इस बयान को सपा ने न केवल असंवैधानिक बताया, बल्कि इसे जातीय उन्माद फैलाने वाला करार दिया. 

साथ ही डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सपा नेताओं की भाषा शैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि आलोचना में इस्तेमाल किए गए शब्दों को पढ़कर लगता ही नहीं कि यह पार्टी डॉ. राममनोहर लोहिया और पंडित जनेश्वर मिश्र की विरासत की पार्टी रह गई है। ब्रजेश पाठक ने तंज कसते हुए कहा कि सपा के कार्यकर्ता लोहिया और जयप्रकाश नारायण (जेपी) के विचारों से दूर हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि जार्ज साहब (जॉर्ज फर्नांडीस) कहा करते थे कि शिविर लगाओ, पढ़ो और समझो। लेकिन आज के तथाकथित समाजवादी उस रास्ते से भटक गए हैं।

डिप्टी सीएम ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को संबोधित करते हुए कहा कि अखिलेश जी, अपने साथियों को लोहिया-जेपी पढ़ाइए और जनेश्वर मिश्र के भाषण सुनवाइए, ताकि उनके व्यवहार और भाषा में समाजवाद की झलक आ सके। अगर लोहिया की किताबें न हों तो मैं उपलब्ध करवा सकता हूं।

अखिलेश यादव का पलटवार

अखिलेश यादव का पलटवार
अखिलेश यादव का पलटवार

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृजेश पाठक की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “भाजपा के नेताओं को डीएनए की बात करने से पहले खुद का राजनीतिक चरित्र देखना चाहिए. जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया, वे आज देशभक्ति का प्रमाणपत्र बांट रहे हैं.” अखिलेश ने कहा कि भाजपा केवल नफरत फैलाने का काम करती है और जनता अब इनके असली चेहरे को पहचान चुकी है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा नेताओं को देश के संविधान और लोकतंत्र की बुनियादी समझ होनी चाहिए.

“समाजवाद या स्वार्थवाद? सपा के सिद्धांतों पर उठे सवाल”

ब्रजेश पाठक ने कहा कि आज सपा का समाजवाद गाली-गलौच, अशोभनीय भाषा और अराजकता की संस्कृति में तब्दील हो चुका है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जब विपक्ष में रहते हुए इनका यह हाल है, तो सत्ता में रहते हुए इन्होंने क्या किया होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सपा नेताओं की ओर से भगवान कृष्ण का नाम लिए जाने पर भी उन्होंने नाराजगी जताई।

ब्रजेश पाठक ने कहा कि ये लोग शिशुपाल जैसे व्यवहार करते हैं और फिर भी योगेश्वर कृष्ण का नाम लेने का दुस्साहस करते हैं। अंत में उन्होंने कहा कि हे योगेश्वर कृष्ण, इन शिशुपालों का वही उपचार करते रहिए, जैसा उत्तर प्रदेश की जनता पिछले दस वर्षों से कर रही है। यही इनकी नीयति होगी।

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राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनावों के नजदीक आते ही ऐसे बयान राजनीतिक पार्टियों की रणनीति का हिस्सा होते हैं. भाजपा अपने को राष्ट्रवादी और विकासोन्मुख पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है, जबकि सपा सामाजिक न्याय और संविधानिक मूल्यों की बात कर रही है. ऐसे में दोनों ही दलों के बीच तीखी बयानबाजी आगे भी जारी रहने की संभावना है।

डीएनए टिप्पणी से उपजा यह विवाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई बहस को जन्म दे रहा है. जहां एक ओर भाजपा इसे वंशवाद बनाम राष्ट्रवाद का मुद्दा बना रही है, वहीं समाजवादी पार्टी इसे सामाजिक न्याय और लोकतंत्र पर हमले के रूप में देख रही है. इस सियासी घमासान का असर आगामी चुनावों पर पड़ेगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल राजनीतिक पारा जरूर चढ़ता नजर आ रहा है।

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