“क्या दोहरी जिम्मेदारी संभालेंगे चिराग पासवान? विधानसभा चुनाव पर आया बड़ा बयान”

इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बिहार का राजनीतिक माहौल गरमाते जा रहा है,अरुण भारती से पहले खुद चिराग पासवान भी कई बार कह चुके हैं कि वह विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने पिछले हफ्ते ही हाजीपुर में विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली एनडीए सरकार के मंत्री चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। चिराग के बाद उनके बहनोई अरुण भारती ने भी इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि चिराग को किसी सामान्य सीट से चुनाव लड़ना चाहिए। चिराग पासवान के बहनोई और जमुई से सांसद अरुण भारती ने चिराग पासवान के किसी सामान्य सीट से चुनाव लड़ने की बात कही है। इससे पहले चिराग पासवान खुद कई बार यह कह चुके हैं कि वह बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। पिछले सप्ताह चिराग पासवान ने हाजीपुर में विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही थी।

"क्या दोहरी जिम्मेदारी संभालेंगे चिराग पासवान? विधानसभा चुनाव पर आया बड़ा बयान"
“क्या दोहरी जिम्मेदारी संभालेंगे चिराग पासवान? विधानसभा चुनाव पर आया बड़ा बयान”

अरुण भारती ने क्या लिखा?

अरुण भारती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा “जब नेता पूरे बिहार का है, तो सीट का दायरा क्यों सीमित हो ? कार्यकर्ताओं की यह भी भावना है कि इस बार चिराग पासवान जी बिहार विधानसभा के चुनाव में किसी आरक्षित सीट से नहीं, बल्कि एक सामान्य सीट से चुनाव लड़ें। चिराग पासवान अब सिर्फ एक समुदाय की नहीं, पूरे बिहार की उम्मीद हैं।”

विधानसभा चुनाव में लोजपा की हिस्सेदारी

मीडिया से हुई बातचीत में चिराग ने एक बात पर जोर देकर कहा कि आज की तारीख में उनके पास एक भी विधायक नहीं है. इस वजह से वो अपनी आवाज बुलंद नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी पार्टी को और मजबूत करना है. चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर जारी अटकलों को उनके इस बयान से बल मिलता है. उन्होंने 2020 का चुनाव एनडीए से अलग होकर लड़ा था. लेकिन वो केवल एक सीट ही जीत पाए थे.

लेकिन उनका वोट बैंक उनके साथ बना हुआ नजर आया था. उनकी पार्टी को 5.8 फीसदी वोट मिले थे. इससे पहले 2015 का चुनाव उन्होंने एनडीए में रहते हुए ही 42 सीटों पर लड़ा था. उस चुनाव में लोजपा दो सीटें जीती थीं और पांच फीसदी वोट हासिल किए थे.साल 2015 में नीतीश कुमार की जेडीयू एनडीए का हिस्सा नहीं थी.वह आरजेडी वाले महागठबंधन में शामिल थी.

इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही लोजपा ने सीटों को लेकर अपनी दावेदारी शुरू कर दी थी. पहले उसने कहा कि उसे बिहार के हर जिले में कम से कम एक सीट चुनाव लड़ने के लिए चाहिए. इस हिसाब से उनका दावा 38 सीटों पर बनता है.एनडीटीवी से उन्होंने यह भी कहा है कि अगर 2020 के चुनाव में वो एनडीए में होते तो आरजेडी 25 सीट भी नहीं जीत पाती. इस तरह अपनी कमी से हुए एनडीए को नुकसान पर जोर देकर अपनी अहमियत जताई.

विधानसभा चुनाव लड़ने के क्या हैं संकेत ?

अब जब चिराग पासवान खुद विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं और उनके बहनोई अरुण भारती ने भी इसका समर्थन किया है, तो यह साफ संकेत है कि चिराग बिहार की राजनीति में सीधी भागीदारी चाहते हैं। हालांकि वे केंद्रीय मंत्री हैं और ऐसे में उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना थोड़ी कम मानी जा सकती है, लेकिन राजनीतिक समीकरण और व्यक्तिगत रणनीति कुछ भी करवाने की ताकत रखते हैं।

NDA के प्रमुख चेहरों में से एक हैं चिराग 

NDA के प्रमुख चेहरों में से एक हैं चिराग 
NDA के प्रमुख चेहरों में से एक हैं चिराग 

चिराग पासवान की स्थिति आज एनडीए के प्रमुख चेहरों में से एक के रूप में है। उनके पास न केवल केंद्र सरकार में मंत्रालय है, बल्कि अब उनकी राज्य की राजनीति में उतरने की संभावनाएं भी प्रबल हो गई हैं। अगर वे विधानसभा चुनाव लड़ते हैं, तो यह एनडीए की रणनीति और बिहार की राजनीति दोनों के लिए अहम मोड़ साबित हो सकता है।

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