“संकल्प पत्र से मिली सियासी राहत: आंदोलनकारियों पर दर्ज केस होंगे वापस!”

महाराष्ट्र सरकार की तरफ से जारी जीआर में कहा गया है कि राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों के दौरान दर्ज किए गए मुकदमे वापस होंगे। हालांकि, वही मुकदमे वापस होंगे, जिनमें 31 मार्च 2025 से पहले चार्जशीट दाखिल की गई थी।

महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक संदेश देते हुए अपना संकल्प पत्र जारी किया, जिसमें राज्य में विभिन्न आंदोलनों से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं पर दर्ज पुराने मामलों को वापस लेने का ऐलान किया गया है। यह कदम न सिर्फ वर्षों से संघर्ष कर रहे आंदोलनकारियों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि राज्य की सियासी फिजा में भी नरमी का संकेत देता है। सरकार के अनुसार, जिन आंदोलनों में जनता की भावनाएं शामिल थीं और जिनमें किसी प्रकार की गंभीर हिंसा या तोड़फोड़ नहीं हुई, उन मामलों की समीक्षा कर मुकदमे वापस लिए जाएंगे।

"संकल्प पत्र से मिली सियासी राहत: आंदोलनकारियों पर दर्ज केस होंगे वापस!"
“संकल्प पत्र से मिली सियासी राहत: आंदोलनकारियों पर दर्ज केस होंगे वापस!”

किसानों, मराठा आरक्षण समर्थकों, विभिन्न सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों के नेताओं पर वर्षों से दर्ज मुकदमों को लेकर लंबे समय से मांग उठ रही थी कि इन्हें समाप्त किया जाए, क्योंकि ये मामले राजनीतिक और जनआंदोलनों के तहत दर्ज किए गए थे। अब सरकार ने इन्हीं मांगों को संकल्प पत्र में जगह दी है, जिससे यह माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद राज्य सरकार आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सामाजिक वर्गों में भरोसा बढ़ाना चाहती है।

मुख्यमंत्री और गृहमंत्री दोनों ने इस निर्णय को “न्यायप्रिय और लोकतांत्रिक भावना के अनुरूप” बताया है। सरकार ने एक विशेष समिति गठित करने का ऐलान भी किया है, जो प्रत्येक मामले की समीक्षा कर तय करेगी कि किन केसों को वापस लिया जा सकता है। इस फैसले से हजारों आंदोलनकारियों और नेताओं को राहत मिलने की संभावना है, जो अब तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे थे। विपक्ष ने हालांकि इसे चुनावी स्टंट बताया है, लेकिन प्रभावित वर्गों ने इसे स्वागतयोग्य कदम करार दिया है।



सरकार ने आदेश में क्या कहा?

राज्य के गृह विभाग ने एक आदेश में कहा था कि ऐसे सभी मामले जिनमें 31 अगस्त 2024 तक आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया था, वापस ले लिए जाएंगे। अधिकारी ने बताया कि हालांकि कुछ मामले ऐसे भी थे जिनमें आरोप पत्र इस तिथि के बाद दाखिल किया गया। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को जारी ‘सरकारी प्रस्ताव’ या आदेश के अनुसार, आम जनता के हित में आंदोलन करने वाले राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले, जिनमें इस वर्ष 31 मार्च तक आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया था, वापस ले लिए जाएंगे।

महाराष्ट्र सरकार का एक और जीआर चर्चा में

महाराष्ट्र सरकार का एक और जीआर चर्चा में
महाराष्ट्र सरकार का एक और जीआर चर्चा में

महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक जीआर जारी कर कहा था कि पहली से पांचवीं तक के स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाना जरूरी होगा। हालांकि, इस आदेश का जमकर विरोध हुआ। इसके बाद इसमें बदलाव कर तीसरी भाषा के रूप में किसी भी भारतीय भाषा को पढ़ाने की अनुमति दी गई। यहां पहली भाषा के रूप में मराठी और दूसरी भाषा के रूप में अंग्रेजी पढ़ाना हर स्कूल के लिए जरूरी है। तीसरी भाषा के रूप में हिंदी या कोई अन्य भारतीय भाषा पढ़ाई जा सकती है।



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