टीवी से लेकर साउथ और अब बॉलीवुड में एक्टिंग का लोहा मनवा चुकीं एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर कभी अपनी जिंदगी से इतनी परेशान थी कि वह खुदकुशी करना चाहती थीं।
अंकिता लोखंडे, यामी गौतम, मौनी रॉय, रिद्धी डोगरा और प्राची देसाई जैसी कई एक्ट्रेस ऐसी है, जिन्होंने टीवी से डेब्यू किया और बाद में फिल्मी दुनिया में एंट्री की। ऐसी ही एक हसीना मृणाल ठाकुर भी हैं जो कई साउथ और बॉलीवुड फिल्मों में नजर आ चुकी हैं।

मृणाल ठाकुर का जन्म 1 अगस्त 1992 को धुले, महाराष्ट्र में हुआ था। एक मराठी परिवार से ताल्लुक रखने वाली मृणाल ने मास मीडिया की पढ़ाई मुंबई यूनिवर्सिटी से की। हालांकि एक्टिंग में रुचि उन्हें कॉलेज के दिनों से ही थी, लेकिन उनके माता-पिता चाहते थे कि वो पढ़ाई पूरी करें और एक ‘सुरक्षित करियर’ चुनें।
टीवी से शुरुआत – पहला मौका

मृणाल का पहला बड़ा ब्रेक मिला टीवी शो ‘मुझसे कुछ कहती… ये खामोशियां’ (2012) में, जहाँ उन्होंने ‘गौरी भोसले’ का किरदार निभाया। इसके बाद उन्हें असली पहचान मिली स्टार प्लस के मशहूर शो ‘कुमकुम भाग्य’ से, जिसमें उन्होंने बुलबुल अरोरा का किरदार निभाया।
लेकिन मृणाल चाहती थीं टीवी से आगे बढ़कर फिल्मों में अपनी पहचान बनाना — एक ऐसा फैसला जो आसान नहीं था।
बॉलीवुड के दरवाजे पर संघर्ष
टीवी से फिल्मों में आने के फैसले को लेकर उन्हें इंडस्ट्री में गंभीरता से नहीं लिया गया। कई बार ऑडिशन में उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया, कहा गया कि “आप टीवी फेस हैं, फिल्मों के लिए नहीं”।
- उन्होंने कई फिल्मों के ऑडिशन दिए, पर रोल नहीं मिला।
- मेंटल स्ट्रेस इतना बढ़ गया कि एक समय मृणाल ने खुलकर बताया कि वे डिप्रेशन में चली गईं और आत्महत्या जैसे ख्याल भी आने लगे।
“मुझे लगता था कि मैं किसी लायक नहीं हूं, सब कुछ खत्म हो गया है…” – मृणाल ठाकुर (एक इंटरव्यू में)
बदलाव की शुरुआत – ‘लव सोनिया’
2018 में मृणाल को मिला फिल्म ‘लव सोनिया’ का लीड रोल। यह फिल्म ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसे गंभीर विषय पर आधारित थी और इसमें मृणाल के अभिनय की जमकर तारीफ हुई — खासकर इंटरनेशनल सिनेमा में।
हालांकि फिल्म को भारत में ज़्यादा कमर्शियल सफलता नहीं मिली, लेकिन इसने मृणाल को इंडस्ट्री में एक गंभीर कलाकार के रूप में स्थापित कर दिया।
साउथ इंडस्ट्री में छा गईं
दुलकर सलमान के साथ ‘सीता रमम’ (2022) में उन्होंने जिस तरह ‘सीता महालक्ष्मी’ का किरदार निभाया, वह आज भी दर्शकों के दिलों में बसा है। इस फिल्म ने न सिर्फ उनकी फैन फॉलोइंग को दोगुना किया, बल्कि तेलुगु और तमिल इंडस्ट्री में भी मृणाल ठाकुर को एक भरोसेमंद और टैलेंटेड एक्ट्रेस के रूप में स्थापित किया।
माइंडसेट और साहस की कहानी
मृणाल ठाकुर ने अपनी स्ट्रगल स्टोरी के जरिए ये साबित किया कि पैसा, कनेक्शन या बैकग्राउंड नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
वो कहती हैं:
“अगर आप हार मानने को तैयार नहीं हैं, तो दुनिया की कोई भी चीज़ आपको रोक नहीं सकती।”
निष्कर्ष
- मृणाल ठाकुर की कहानी सिर्फ एक एक्ट्रेस की सक्सेस स्टोरी नहीं है, बल्कि यह उन लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो सपनों के पीछे संघर्ष कर रहे हैं।
- उन्होंने दिखाया कि टीवी से बॉलीवुड और साउथ फिल्मों तक की यात्रा, बिना गॉडफादर के भी संभव है — बशर्ते हिम्मत और सच्चाई बनी रहे।
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