छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को यूनेस्को ने अपनी वर्ल्ड हेरीटेज साइट्स की लिस्ट में शामिल किया है। बता दें कि इसे लेकर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया है।
महाराष्ट्र के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को आज वैश्विक मान्यता मिली है। छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित और संरक्षित कुछ प्रमुख किले अब आधिकारिक रूप से यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट लिस्ट में शामिल कर लिए गए हैं। इस घोषणा के साथ ही न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत में गर्व और उल्लास की लहर दौड़ गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस ऐतिहासिक मौके पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह हर मराठी व्यक्ति के लिए गर्व का क्षण है। शिवाजी महाराज की विरासत को अब वैश्विक मंच पर सम्मान मिला है।”

कौन-कौन से किले हुए शामिल?
यूनेस्को द्वारा जिन शिवकालीन किलों को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल किया गया है, उनमें रायगढ़, प्रतापगढ़, राजगढ़, सिंधुदुर्ग, तोरणा और विजयदुर्ग जैसे प्रमुख दुर्ग शामिल हैं। ये सभी किले 17वीं सदी में मराठा साम्राज्य की रणनीतिक सैन्य शक्ति के प्रतीक रहे हैं। ये दुर्ग न सिर्फ सैन्य दृष्टिकोण से बल्कि स्थापत्य कला, जल प्रबंधन, और किलेबंदी की दृष्टि से भी अद्वितीय माने जाते हैं।
महाराष्ट्र सरकार की बड़ी पहल
इस ऐतिहासिक मान्यता के पीछे महाराष्ट्र सरकार के वर्षों की मेहनत और यूनेस्को के साथ सतत संवाद का परिणाम है। पुरातत्व विभाग, इतिहासकारों, और संरक्षक संस्थाओं के समन्वय से यह प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसमें किलों के इतिहास, संरचना, सांस्कृतिक योगदान, और उनके संरक्षण प्रयासों की विस्तृत जानकारी यूनेस्को को सौंपी गई थी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “हमारी सरकार ने इन किलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए एक ठोस रणनीति अपनाई थी। इसका उद्देश्य न केवल धरोहर को संरक्षित करना था, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को शिवाजी महाराज की वीरता और दूरदर्शिता से परिचित कराना भी था।”
क्या है वर्ल्ड हेरिटेज टैग का महत्व?
यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल होने का मतलब होता है कि यह स्थान पूरी मानवता की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा है। इससे इन स्थलों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और फंडिंग की सुविधा मिलती है, साथ ही वैश्विक स्तर पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है।
यूनेस्को की रिपोर्ट में यह स्पष्ट कहा गया है कि शिवाजी महाराज के ये किले न केवल सैन्य वास्तुकला की उत्कृष्ट मिसाल हैं, बल्कि उनमें शासन, जल आपूर्ति, न्याय प्रणाली और प्रशासन के चिह्न भी विद्यमान हैं। इन किलों की अवस्थिति, निर्माण तकनीक और पर्यावरण के साथ उनका संतुलन अद्वितीय है।
जनता की प्रतिक्रिया
इस खबर के सामने आते ही महाराष्ट्र भर में उत्सव जैसा माहौल बन गया है। सोशल मीडिया पर #ShivajiFortHeritage ट्रेंड करने लगा है और लोग अपनी भावनाएं, तस्वीरें और इतिहास से जुड़ी बातें साझा कर रहे हैं। कई स्कूलों, कॉलेजों और सांस्कृतिक संस्थानों ने विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया है ताकि युवाओं को इस गौरवशाली इतिहास से जोड़ा जा सके।
निष्कर्ष
छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में मान्यता मिलना केवल एक औपचारिक दर्जा नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा और मराठी अस्मिता की विजय है। यह घोषणा न केवल इतिहास के पुनर्स्मरण का अवसर है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को गौरवशाली अतीत से जोड़ने का सेतु भी बनेगी।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने अंत में कहा, “यह सिर्फ किलों की मान्यता नहीं है, बल्कि यह महाराष्ट्र की आत्मा को दुनिया के सामने रखे जाने का अवसर है। हम इस धरोहर को संरक्षित रखने के लिए पूरी निष्ठा से प्रयास करते रहेंगे।”
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