21 जुलाई से 21 अगस्त के बीच संसद का मानसून सत्र चलेगा। इस बीच, 12 अगस्त से 18 अगस्त के बीच स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों के चलते सदन की कार्यवाही नहीं चलेगी।
संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले सरकार ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाकर राजनीतिक दलों से संवाद स्थापित किया। बैठक का उद्देश्य आगामी सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए आम सहमति बनाना और राजनीतिक दलों को प्रस्तावित विधेयकों की जानकारी देना रहा। यह बैठक संसद भवन परिसर में हुई, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री और लोकसभा में सरकार के मुख्य प्रवक्ता राजनाथ सिंह ने की।
इस बैठक में सरकार ने आगामी मानसून सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले प्रमुख विधेयकों की जानकारी दी और विपक्षी दलों से सहयोग की अपील की। सूत्रों के मुताबिक, इस बार सरकार लगभग 25 से 30 विधेयक पेश करने की तैयारी में है। इनमें कई अहम और विवादास्पद विधेयक भी शामिल हैं, जिन पर सत्र के दौरान तीखी बहस की संभावना जताई जा रही है।

प्रस्तावित प्रमुख विधेयक
- न्याय प्रणाली सुधार विधेयक: सरकार इस बार न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से एक व्यापक विधेयक पेश करने जा रही है, जिसमें अदालतों की प्रक्रिया को डिजिटल और तेज़ करने के प्रावधान होंगे।
- आपराधिक कानून संशोधन विधेयक: भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और साक्ष्य अधिनियम में व्यापक संशोधन के लिए विधेयक पहले ही विधि आयोग की सिफारिशों पर आधारित है और इस सत्र में संसद में प्रस्तुत किया जाएगा।
- डेटा संरक्षण विधेयक: लंबे समय से प्रतीक्षित डिजिटल डेटा संरक्षण बिल भी इस सत्र में लाया जाएगा। यह विधेयक देश में डेटा गोपनीयता, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और तकनीकी कंपनियों की जवाबदेही तय करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- तीन तलाक विधेयक में संशोधन: केंद्र सरकार द्वारा पहले पारित तीन तलाक कानून में कुछ तकनीकी संशोधन प्रस्तावित हैं, जिन्हें इस सत्र में पेश किया जा सकता है।
- पेंशन सुधार विधेयक: नई पेंशन योजना (NPS) और पुरानी पेंशन योजना (OPS) के बीच संतुलन बनाने के लिए एक प्रस्तावित विधेयक पर चर्चा संभव है, जिससे सरकारी कर्मचारियों को राहत मिल सकती है।
- वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक: पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित यह विधेयक वनों के संरक्षण और भूमि उपयोग को लेकर नई दिशा तय करेगा। इसे लेकर विपक्षी दलों की आपत्तियाँ पहले से ही दर्ज हैं।
विपक्ष की मांगें और रणनीति
बैठक में कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, शिवसेना (उद्धव गुट) सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने भाग लिया और अपनी-अपनी चिंताओं को सरकार के सामने रखा। कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा, महंगाई, बेरोजगारी, विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी-सीबीआई की कार्रवाई और चुनावी बांड जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की।
आम आदमी पार्टी और टीएमसी ने दिल्ली सेवा विधेयक पर विरोध जताते हुए कहा कि यह राज्यों के अधिकारों का हनन है। विपक्ष का एक साझा एजेंडा तैयार करने की भी कवायद जारी है, जिससे एकजुट होकर सरकार को घेरा जा सके।
सरकार का रुख
राजनाथ सिंह ने सभी दलों को विश्वास दिलाया कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार है, बशर्ते संसद सुचारू रूप से चले। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “हम विपक्ष के सुझावों का स्वागत करते हैं। लोकतंत्र में संवाद जरूरी है और सरकार तैयार है।”
निष्कर्ष
मानसून सत्र इस बार राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह लोकसभा चुनाव 2024 से पहले का अंतिम प्रमुख सत्र हो सकता है। ऐसे में सरकार कानून निर्माण की दिशा में आक्रामक रणनीति अपना सकती है, वहीं विपक्ष भी अपनी एकजुटता और मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा। सत्र का आगाज 22 जुलाई से होगा और 10 अगस्त तक चलेगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि यह सत्र कितनी बहस, कितनी सहमति और कितने टकराव के साथ आगे बढ़ता है।
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