‘धड़क 2’ रिव्यू: सिद्धांत-तृप्ति की दमदार जोड़ी ने दिखाया समाज का असली चेहरा !

‘धड़क 2’ सिनेमाघरों में शुक्रवार को रिलीज हो रही है। फिल्म की रिलीज से पहले ही इसका रिव्यू हम आपके लिए लाए हैं। फिल्म में सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी लीड रोल में हैं। ये एक संवेदनशील प्रेम कहानी है जातीय अत्याचार को दिखाया गया है।

करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी फिल्म ‘धड़क 2’ एक बार फिर समाज की उन परतों को उजागर करती है, जिन पर अक्सर पर्दा डाल दिया जाता है। जहां पहली ‘धड़क’ (2018) एक प्रेम कहानी थी जो जातिगत भेदभाव की पृष्ठभूमि पर आधारित थी, वहीं ‘धड़क 2’ कहीं ज्यादा परिपक्व, संवेदनशील और सच्चाई के बेहद करीब दिखाई देती है। फिल्म की स्टार कास्ट में सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी की जोड़ी ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिलों को छू लिया है।

'धड़क 2' रिव्यू: सिद्धांत-तृप्ति की दमदार जोड़ी ने दिखाया समाज का असली चेहरा !
‘धड़क 2’ रिव्यू: सिद्धांत-तृप्ति की दमदार जोड़ी ने दिखाया समाज का असली चेहरा !

कहानी की पृष्ठभूमि

फिल्म की कहानी उत्तर भारत के एक छोटे से शहर से शुरू होती है, जहां दो युवा — आर्यन (सिद्धांत चतुर्वेदी) और कविता (तृप्ति डिमरी) — अलग-अलग सामाजिक पृष्ठभूमियों से आते हैं, लेकिन एक-दूसरे से गहराई से जुड़ जाते हैं। आर्यन एक निम्न जाति से है, जबकि कविता एक राजनीतिक और ऊंची सामाजिक हैसियत वाले परिवार की बेटी है।

कहानी की पृष्ठभूमि
कहानी की पृष्ठभूमि

दोनों का प्रेम समाज के बनाए जातिगत और आर्थिक ढांचे के खिलाफ बगावत करता है। लेकिन इस प्रेम की राह में न केवल सामाजिक बंधन, बल्कि राजनीति, परिवार की प्रतिष्ठा, और व्यक्तिगत असुरक्षाएं भी रोड़े अटकाती हैं। निर्देशक शशांक खेतान ने इस बार कहानी को ज्यादा संवेदनशील, यथार्थवादी और साहसिक तरीके से प्रस्तुत किया है।

दमदार प्रदर्शन

दमदार प्रदर्शन
दमदार प्रदर्शन

सिद्धांत चतुर्वेदी:

सिद्धांत ने आर्यन के किरदार में जान डाल दी है। उनका अभिनय संयमित, भावनात्मक और बेहद प्रभावशाली है। खासकर वे दृश्य जहां उन्हें सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ता है — वह दर्शकों के दिल को छूते हैं।

तृप्ति डिमरी:

तृप्ति एक बार फिर साबित करती हैं कि वह इस पीढ़ी की सबसे प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों में से एक हैं। कविता के किरदार में उन्होंने मासूमियत, विद्रोह और साहस का बेहतरीन संतुलन दिखाया है।

दोनों के बीच की केमिस्ट्री इतनी स्वाभाविक है कि दर्शक उनकी भावनाओं से खुद को जोड़ लेते हैं।

सामाजिक टिप्पणी

‘धड़क 2’ सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है — यह एक सामाजिक टिप्पणी है। फिल्म में जातिगत भेदभाव, ऑनर किलिंग, सामाजिक असमानता और पितृसत्ता जैसे मुद्दों को न केवल दर्शाया गया है, बल्कि इन पर सवाल भी उठाए गए हैं। फिल्म का संवाद लेखन धारदार है, और कई जगहों पर ऐसे डायलॉग सुनने को मिलते हैं जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे।

उदाहरण के तौर पर एक दृश्य में कविता कहती है:
“प्यार अगर गुनाह है, तो सजा तुम्हें भी मिलनी चाहिए, क्योंकि नफरत तुमने फैलाई है, हमने नहीं।”

यह डायलॉग न केवल फिल्म का सार है, बल्कि आज के समाज के लिए एक आईना भी।

निर्देशन और तकनीकी पक्ष

शशांक खेतान ने इस बार बहुत परिपक्वता से निर्देशन किया है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है – ग्रामीण भारत की असलियत, संकीर्ण गलियां, और आंखों में सपने लिए युवा दिल, सब कुछ बारीकी से कैमरे में कैद किया गया है। बैकग्राउंड स्कोर कहानी के साथ गहराई से जुड़ता है और भावनात्मक दृश्यों को और असरदार बनाता है।

कमजोर कड़ियां

फिल्म की गति कुछ जगहों पर धीमी हो जाती है, खासकर मध्य भाग में। कुछ सहायक किरदारों को और विस्तार दिया जा सकता था। लेकिन ये खामियां फिल्म की कुल गुणवत्ता को कम नहीं करतीं।

निष्कर्ष

‘धड़क 2’ न केवल एक प्रेम कहानी है, बल्कि यह एक साहसी प्रयास है समाज के उन स्याह पहलुओं को उजागर करने का, जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी की जोड़ी ने अभिनय के स्तर पर उच्च मानक स्थापित किए हैं। फिल्म आपको भावनात्मक रूप से झकझोरती है और अंत में एक कड़वा लेकिन जरूरी सवाल आपके दिल में छोड़ जाती है — क्या आज भी समाज में सच्चे प्यार के लिए जगह है?

रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐☆ (4/5)
जरूर देखें अगर: आप संवेदनशील विषयों पर आधारित यथार्थवादी सिनेमा पसंद करते हैं !

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