जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा और प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता दिलाई।
बिहार की सियासत में चुनावी हलचल के बीच कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री डॉ. अशोक कुमार राम ने कांग्रेस से नाता तोड़ते हुए जनता दल (यूनाइटेड) का दामन थाम लिया है। उनके साथ उनके बेटे अतिरेक कुमार और सैकड़ों समर्थकों ने भी JDU की सदस्यता ग्रहण की। यह घटनाक्रम आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के संदर्भ में राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

राजनीतिक पाला बदलने की वजहें
डॉ. अशोक कुमार राम ने JDU में शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस अब “जन सरोकारों से कट चुकी पार्टी” बन गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में स्थानीय नेतृत्व की उपेक्षा, नीतिगत अस्पष्टता, और जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी लगातार बढ़ती जा रही है।
उनका यह भी कहना था:
“कांग्रेस पार्टी अब सिर्फ दिल्ली दरबार तक सीमित हो गई है। राज्य स्तर पर कार्यकर्ताओं और नेताओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। नीतीश कुमार का विकास का विज़न, सामाजिक समरसता और सुशासन की सोच मुझे आकर्षित करती है। इसी कारण मैं JDU में शामिल हुआ।”
बेटे और समर्थकों की भी बड़ी भागीदारी

डॉ. राम के साथ उनके पुत्र अतिरेक कुमार, जो युवा कांग्रेस से जुड़े थे, उन्होंने भी कांग्रेस से इस्तीफा देकर JDU जॉइन किया। अतिरेक कुमार को सामाजिक कार्यों और छात्र राजनीति में सक्रियता के लिए जाना जाता है। माना जा रहा है कि JDU उन्हें आगामी चुनाव में कोई बड़ी भूमिका सौंप सकती है।
साथ ही, गया, औरंगाबाद, नवादा और रोहतास जिलों से सैकड़ों की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी डॉ. राम के नेतृत्व में JDU की सदस्यता ली। यह ट्रांज़िशन कांग्रेस के लिए जमीनी स्तर पर नुकसानदायक साबित हो सकता है।
कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं
कांग्रेस पहले से ही बिहार में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। महागठबंधन में अपनी भूमिका कमजोर होती जा रही है और टिकट वितरण, नेतृत्व और रणनीति को लेकर पार्टी में अंदरूनी असंतोष बढ़ रहा है।
डॉ. अशोक कुमार राम जैसे वरिष्ठ दलित नेता का पार्टी छोड़ना कांग्रेस की SC/ST मतदाताओं के बीच पकड़ को और कमजोर कर सकता है। कांग्रेस के भीतर भी इस घटनाक्रम को लेकर मौन नाराजगी देखी जा रही है।
JDU का स्वागत
JDU के प्रदेश अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने डॉ. राम और उनके समर्थकों का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा:
“डॉ. अशोक कुमार राम का पार्टी में आना हमारे लिए गर्व की बात है। उनका प्रशासनिक अनुभव और सामाजिक जुड़ाव हमारे संगठन को और मज़बूती देगा। यह बदलाव दिखाता है कि नीतीश कुमार की नीतियों पर लोगों का भरोसा बढ़ रहा है।”
यह राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब JDU भाजपा से अलग होकर विपक्षी गठबंधन के साथ जा चुकी है और बिहार में एक नई राजनीतिक रणनीति पर काम कर रही है।
डॉ. अशोक कुमार राम का राजनीतिक सफर
डॉ. अशोक कुमार राम एक जाने-माने दलित नेता रहे हैं। वह बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं और गया जिले से विधायक भी चुने गए थे। उनका राजनीतिक अनुभव तीन दशकों से भी ज्यादा का है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में कई कार्य किए हैं।
उनके पार्टी बदलने का असर गया, जहानाबाद, और नवादा बेल्ट की राजनीति में देखने को मिल सकता है, जहां वे प्रभावी माने जाते हैं।
निष्कर्ष
डॉ. अशोक कुमार राम का कांग्रेस छोड़कर JDU में शामिल होना बिहार की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम है। जहां एक ओर कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका है, वहीं JDU को इससे दलित वोट बैंक में मजबूती मिल सकती है। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यह ट्रांज़िशन राजनीतिक समीकरणों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस नुकसान की भरपाई कैसे करती है और क्या अन्य असंतुष्ट नेता भी पाला बदलते हैं।
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