धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर मथुरा के मशहूर संत प्रेमानंद जी महाराज के समर्थन में उतर गए हैं। उन्होंने कहा कि इस देश में सत्य कहना बहुत ही मुश्किल भरा काम है।
सनातन धर्म के दो लोकप्रिय संतों – प्रेमानंद महाराज और बाबा बागेश्वर उर्फ धीरेंद्र शास्त्री – एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है प्रेमानंद महाराज पर हो रहे विरोध और उनकी आलोचना को लेकर बाबा बागेश्वर का जोरदार समर्थन। बाबा बागेश्वर ने हाल ही में एक धार्मिक कार्यक्रम में प्रेमानंद महाराज के समर्थन में खुलकर बयान दिया और उन्हें ‘सनातन धर्म की सच्ची आवाज’ बताया।
उनके इस बयान के बाद धार्मिक और सामाजिक हलकों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। उन्होंने अपने तीखे शब्दों में विरोध करने वालों पर भी हमला बोला और कहा कि “जो लोग धर्म और संतों के खिलाफ जहर उगलते हैं, उन्हें इतिहास कभी माफ नहीं करता।”
क्या है पूरा मामला?
हाल के दिनों में प्रेमानंद महाराज को लेकर सोशल मीडिया और कुछ संगठनों की ओर से आलोचना और विरोध देखने को मिला है। उन पर आरोप लगाए गए कि वे अपने प्रवचनों में अंधविश्वास फैलाते हैं और युवा पीढ़ी को भ्रमित करते हैं। कुछ सामाजिक संगठनों और तथाकथित “तर्कवादी समूहों” ने उनके खिलाफ अभियान भी चलाया।
इसके जवाब में बाबा बागेश्वर ने प्रेमानंद महाराज का समर्थन करते हुए कहा, “जिनकी आत्मा जागी होती है, वे ही सच्चाई को पहचानते हैं। जो प्रेमानंद महाराज जैसे संतों का विरोध करते हैं, वे केवल सनातन धर्म की जड़ें कमजोर करना चाहते हैं।”
बाबा बागेश्वर का बड़ा बयान
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा,
“आज प्रेमानंद जी पर सवाल उठाने वाले कौन लोग हैं? वही लोग जो संस्कृति से दूर हैं, जिनका न धर्म से न ज्ञान से कोई लेना-देना है। प्रेमानंद महाराज जैसे संतों पर उंगली उठाना, सीधा सनातन पर हमला करना है। लेकिन ध्यान रखना, सच्चाई का विरोध करने वाले कभी नहीं टिकते। झूठ का जीवन छोटा होता है, पर सत्य की विजय हमेशा होती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि प्रेमानंद महाराज वर्षों से ग्रामीण भारत में अध्यात्म और धर्म के माध्यम से लोगों को जोड़ने का कार्य कर रहे हैं, और उनके जैसे संत समाज के लिए प्रेरणा हैं।
संतों के बीच एकता का संदेश
बाबा बागेश्वर के इस बयान को केवल समर्थन नहीं, बल्कि एक बड़ी धार्मिक एकता की पहल के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए एक बड़ा षड्यंत्र चल रहा है और इसमें देशी-विदेशी ताकतें शामिल हैं।
“संतों में मतभेद हो सकते हैं, पर मनभेद नहीं होने चाहिए। आज जब धर्म पर संकट है, तो सभी संतों को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना होगा,” उन्होंने कहा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
बाबा बागेश्वर के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर दोनों संतों के समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर #PremanandMaharaj और #BageshwarDham ट्रेंड करने लगे हैं। कई लोगों ने इसे “धर्म की एकता की मिसाल” बताया।
हालांकि, कुछ वर्ग अब भी बाबा बागेश्वर और प्रेमानंद महाराज दोनों की शिक्षाओं को लेकर आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं से खेला जा रहा है।
निष्कर्ष
बाबा बागेश्वर का प्रेमानंद महाराज के पक्ष में आना न केवल एक संत के समर्थन में खड़े होने का प्रतीक है, बल्कि यह एक बड़ा संदेश भी है – कि जब धर्म पर सवाल उठते हैं, तब संत समाज एकजुट होकर उसका जवाब देता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला कितनी दूर तक जाता है और क्या यह धार्मिक विमर्श को नई दिशा देगा या फिर राजनीतिक और वैचारिक बहसों में उलझकर रह जाएगा।
एक बात साफ है – सनातन धर्म और उसके प्रतिनिधियों को लेकर समाज में विचारधाराओं की टकराहट लगातार तेज हो रही है, और बाबा बागेश्वर का यह हस्तक्षेप इस संघर्ष में नया मोड़ ला सकता है।
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