अखिलेश यादव ने पूजा पाल के मामले में दो लोगों के नाम लिए हैं। उन्होंने कहा कि एक डिप्टी सीएम है या कोई बंसल है, जो पत्र लिखवा रहा है। सीएम से मिलने के बाद अचानक किसी की जान को खतरा कैसे हो सकता है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट देखने को मिल रही है। समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूजा पाल से जुड़े मामले पर बड़ा बयान देकर सियासी माहौल को ताजा कर दिया है। उन्होंने सीधे तौर पर दो लोगों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह पूरा प्रकरण राजनीतिक रूप से प्रेरित है और इसके जरिए माहौल को भटकाने की कोशिश की जा रही है।

अखिलेश यादव ने लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “यह कैसी राजनीति है कि किसी विधायक या नेता से मुख्यमंत्री से मुलाकात होने के तुरंत बाद उनकी जान को खतरा बताया जाने लगे? आखिर ऐसी चिट्ठियां लिखवाने की जरूरत क्यों पड़ रही है? मुझे जानकारी मिली है कि इस पत्र लिखवाने के पीछे किसी डिप्टी सीएम या फिर कोई बंसल नाम का व्यक्ति शामिल है।”
पूजा पाल और चिट्ठी का विवाद
पूजा पाल का नाम उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से चर्चाओं में रहा है। हाल ही में उनकी ओर से एक चिट्ठी सामने आई, जिसमें ‘हमारी मदद करो, हमारी जान को खतरा है’ जैसे शब्द लिखे गए। यह चिट्ठी सामने आने के बाद न केवल राजनीतिक हलचल तेज हो गई बल्कि कानून-व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठने लगे।

लेकिन अखिलेश यादव ने इस चिट्ठी की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना है कि “जब कोई विधायक सीधे मुख्यमंत्री से मिलकर आ रहा हो, तो उसके बाद अचानक इस तरह का खतरे का माहौल क्यों और कैसे पैदा हो जाता है? यह साफ है कि इस पूरे मामले के पीछे राजनीतिक साजिश है।”
डिप्टी सीएम और ‘बंसल’ पर इशारा
बिना नाम लिए अखिलेश यादव ने कहा कि इस मामले में सत्ता पक्ष के बड़े नेता और कुछ खास लोग शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि एक डिप्टी सीएम या फिर कोई बंसल नाम का व्यक्ति ही इस पूरी चिट्ठी की कहानी लिखवा रहा है। हालांकि अखिलेश ने साफ तौर पर यह नहीं बताया कि वह किस बंसल की बात कर रहे हैं, लेकिन उनका निशाना सीधे तौर पर सत्तारूढ़ दल की तरफ ही था।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब राज्य में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के पास है, तो आखिर किसी विधायक की सुरक्षा की गारंटी क्यों नहीं दी जा रही?
विपक्ष का हमला और सत्तापक्ष पर दबाव

अखिलेश यादव के इस बयान ने यूपी की सियासत को और गरमा दिया है। विपक्ष लगातार योगी सरकार पर हमलावर है और कह रहा है कि राज्य में कानून-व्यवस्था केवल कागजों पर है। अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि “योगी सरकार अपराध खत्म करने का दावा करती है, लेकिन सच्चाई यह है कि आज विधायक और जनप्रतिनिधि खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अगर किसी को सीएम से मिलने के बाद भी सुरक्षा की गारंटी नहीं है, तो आम जनता की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है।”
सत्ता पक्ष की चुप्पी और बढ़ते सवाल
अब तक सत्ता पक्ष की ओर से अखिलेश यादव के आरोपों पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन जानकारों का मानना है कि इस मामले ने सरकार को असहज स्थिति में जरूर डाल दिया है। विपक्ष जहां इस मुद्दे को विधानसभा सत्र में उठाने की तैयारी कर रहा है, वहीं सत्तारूढ़ दल फिलहाल रणनीति बनाने में जुटा हुआ है।
राजनीतिक मायने
पूजा पाल का मुद्दा वैसे तो व्यक्तिगत सुरक्षा और विश्वास से जुड़ा है, लेकिन इसे राजनीतिक रंग लेने में देर नहीं लगी। अखिलेश यादव के आरोपों ने न केवल इस मामले को सुर्खियों में ला दिया है, बल्कि आने वाले समय में इसे चुनावी मुद्दा बनने से भी कोई नहीं रोक सकता।
विशेषज्ञों का कहना है कि अखिलेश यादव का यह बयान सीधा सत्ता पक्ष पर दबाव बनाने और जनता के बीच यह संदेश देने की कोशिश है कि भाजपा सरकार जनप्रतिनिधियों को भी सुरक्षित रखने में नाकाम है। वहीं, भाजपा इस मामले को विपक्ष की राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप की लड़ाई करार दे सकती है।
नतीजा
पूजा पाल के मामले में सामने आई यह चिट्ठी और उस पर अखिलेश यादव का बयान एक बार फिर यह दिखाता है कि यूपी की राजनीति में सुरक्षा और विश्वास जैसे मुद्दे किस तरह चुनावी हथियार बन जाते हैं। अब देखना होगा कि सत्ता पक्ष इस आरोप का क्या जवाब देता है और आने वाले दिनों में यह विवाद किस दिशा में बढ़ता है।
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