“कांग्रेस की चेतावनी: ‘मध्य प्रदेश जैसी गलती न दोहराएं’, नेताओं को दी खास हिदायत”

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्य प्रदेश की इकाई से नाराजगी दिखाई है। उन्होंने अन्य राज्यों के नेताओं को मध्य प्रदेश जैसी गलती न दोहराने की नसीहत दी है। आइए जानते हैं कि कांग्रेस ने अपने नेताओं को ऐसी हिदायत क्यों दी है?

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं को कड़ा संदेश दिया है। पार्टी आलाकमान ने साफ तौर पर कहा है कि “मध्य प्रदेश जैसी गलती दोहराई नहीं जानी चाहिए।” दरअसल, कांग्रेस का इशारा उस स्थिति की ओर है जब राज्य में सरकार होते हुए भी पार्टी संगठनात्मक ढिलाई और गुटबाज़ी के कारण कमजोर पड़ गई और अंततः सत्ता से बाहर हो गई। इसी अनुभव से सबक लेते हुए अब कांग्रेस नेतृत्व ने अपने नेताओं को अनुशासन और एकजुटता बनाए रखने की सख्त हिदायत दी है।

"कांग्रेस की चेतावनी: ‘मध्य प्रदेश जैसी गलती न दोहराएं’, नेताओं को दी खास हिदायत"
“कांग्रेस की चेतावनी: ‘मध्य प्रदेश जैसी गलती न दोहराएं’, नेताओं को दी खास हिदायत”

पृष्ठभूमि: क्यों दी गई यह चेतावनी?

2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर देकर सरकार बनाई थी। कमलनाथ मुख्यमंत्री बने, लेकिन पार्टी के भीतर गुटबाज़ी और नेतृत्व की खींचतान इतनी बढ़ी कि सरकार महज़ 15 महीनों में गिर गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के बगावत करने के बाद भाजपा ने सत्ता पर कब्जा कर लिया।

कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि यह घटना पार्टी के लिए बड़ा सबक है। इसलिए अब किसी भी राज्य में चुनावी तैयारियों के दौरान नेताओं को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा या गुटीय राजनीति में उलझने से बचने की हिदायत दी गई है।

आलाकमान का सख्त संदेश

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रबंधन समितियों की बैठक में साफ कर दिया कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नेताओं से कहा गया है कि पार्टी का हित सर्वोपरि होना चाहिए और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को किनारे रखकर सामूहिक नेतृत्व में विश्वास करना होगा।

राहुल गांधी ने बैठक में कहा, “मध्य प्रदेश जैसी गलती अगर दोहराई गई तो उसका नुकसान पूरे संगठन को उठाना पड़ेगा। जनता हमसे उम्मीदें लगाए बैठी है, इसलिए हर नेता और कार्यकर्ता को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।”

राज्यों पर खास नजर

कांग्रेस की यह चेतावनी केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है। पार्टी ने उन सभी राज्यों पर फोकस किया है जहां जल्द ही चुनाव होने हैं या लोकसभा चुनावों में रणनीतिक दृष्टि से अहम भूमिका है। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य प्रमुख हैं।

राज्यों पर खास नजर
राज्यों पर खास नजर

विशेष तौर पर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस इस समय सत्ता में है। वहां पार्टी चाहती है कि मुख्यमंत्री और संगठन के बीच तालमेल बेहतर रहे और गुटबाज़ी के कारण भाजपा को मौका न मिल सके।

गुटबाज़ी पर रोक

कांग्रेस लंबे समय से गुटबाज़ी की समस्या से जूझ रही है। पंजाब, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में पार्टी नेताओं के बीच टकराव ने कई बार संगठन को कमजोर किया है। आलाकमान ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव से पहले इस तरह की गतिविधियों पर सख्त नजर रखी जाएगी और अगर कोई नेता पार्टी लाइन से हटकर बयान देता है या असहमति दिखाता है तो उस पर कार्रवाई भी की जाएगी।

भाजपा पर भी वार

कांग्रेस नेताओं ने इस चेतावनी के साथ भाजपा पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा अक्सर कांग्रेस की अंदरूनी कलह का फायदा उठाकर सत्ता हथियाती है। अब पार्टी किसी भी कीमत पर ऐसा मौका भाजपा को नहीं देना चाहती। कांग्रेस का मानना है कि जनता भाजपा की नीतियों से नाराज़ है और अगर संगठन मजबूत और एकजुट होकर चुनाव लड़े तो निश्चित तौर पर बेहतर नतीजे मिल सकते हैं।

कार्यकर्ताओं में नया संदेश

पार्टी आलाकमान के इस निर्देश का असर जमीनी कार्यकर्ताओं तक भी पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। राज्यों की ब्लॉक और जिला इकाइयों को कहा गया है कि वे जनता से सीधा संवाद बढ़ाएं और नेताओं की आपसी खींचतान से दूरी बनाए रखें। कांग्रेस चाहती है कि चुनावी मैदान में कार्यकर्ता एकजुट होकर भाजपा को चुनौती दें।

निष्कर्ष

कांग्रेस का यह बयान और चेतावनी साफ संकेत है कि पार्टी अब किसी भी प्रकार की गुटबाज़ी या अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेगी। मध्य प्रदेश जैसी गलती न दोहराएं कहना दरअसल पार्टी का आंतरिक संदेश है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को भुलाकर केवल संगठन और जनता के लिए काम किया जाए। आगामी लोकसभा चुनावों और राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का यह कदम पार्टी को एकजुट रखने की बड़ी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

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