“अबकी बार तेजस्वी सरकार’ नारे पर भड़के तेजप्रताप, RSS को लेकर मंच से दिया बड़ा बयान”

बिहार चुनाव में अब सीएम फेस को लेकर चर्चाएं काफी हो रहीं हैं। महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव ने खुद को सीएम फेस घोषित कर दिया है। तेजप्रताप यादव की एक जनसभा में ‘अबकी बार तेजस्वी सरकार’ का नारा भी लगा। इस पर तेजप्रताप यादव भड़क गए।

बिहार की राजनीति हमेशा से जोश और जुनून से भरी रही है। हाल ही में इसका एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला जब पटना में आयोजित एक राजनीतिक सभा के दौरान ‘अबकी बार तेजस्वी सरकार’ के नारे लगे। मंच पर मौजूद आरजेडी नेता और पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव इन नारों पर अचानक भड़क उठे और कार्यकर्ताओं को फटकारते हुए बड़ा बयान दे दिया। तेजप्रताप ने मंच से सीधे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का नाम लिया और चेतावनी भरे लहजे में कहा कि ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।

"‘अबकी बार तेजस्वी सरकार’ नारे पर भड़के तेजप्रताप, RSS को लेकर मंच से दिया बड़ा बयान"
“‘अबकी बार तेजस्वी सरकार’ नारे पर भड़के तेजप्रताप, RSS को लेकर मंच से दिया बड़ा बयान”

नारों से भड़के तेजप्रताप

कार्यक्रम के दौरान जैसे ही कार्यकर्ताओं ने जोर-जोर से “अबकी बार तेजस्वी सरकार” के नारे लगाने शुरू किए, तेजप्रताप ने माइक संभाला और कहा –
“यह कौन-सा नारा है? यह नारा लगाना बंद करो। हम समाजवाद और लालू जी की विचारधारा से चलने वाले लोग हैं। यहां बीजेपी या आरएसएस जैसी राजनीति नहीं चलेगी।”

तेजप्रताप की यह प्रतिक्रिया सुनकर मंच और मैदान में मौजूद लोग कुछ क्षणों के लिए सन्न रह गए। लेकिन बाद में उन्होंने तालियों से उनका साथ दिया।

RSS पर साधा निशाना

RSS पर साधा निशाना
RSS पर साधा निशाना

तेजप्रताप ने आगे कहा कि आरजेडी कार्यकर्ताओं को कभी भी आरएसएस की तरह किसी व्यक्ति-विशेष को लेकर नारा नहीं लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लालू प्रसाद यादव की विचारधारा और समाजवादी आंदोलन की देन है, जहां संगठन और जनता सबसे ऊपर है, न कि किसी एक व्यक्ति की छवि।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को याद दिलाया कि आरजेडी हमेशा सामाजिक न्याय, गरीबों की आवाज और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए लड़ती आई है। इसलिए बीजेपी और आरएसएस की तरह “व्यक्तिवादी नारे” पार्टी की संस्कृति में जगह नहीं पा सकते।

तेजस्वी का नाम क्यों आया?

तेजस्वी का नाम क्यों आया?
तेजस्वी का नाम क्यों आया?

दरअसल, बिहार की मौजूदा राजनीति में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आरजेडी का भविष्य और अगला बड़ा चेहरा माना जाता है। हाल के दिनों में उनकी लोकप्रियता बढ़ी है और युवाओं के बीच वे तेजी से स्वीकार्य हो रहे हैं। ऐसे में कार्यकर्ता स्वाभाविक रूप से उन्हें अगला मुख्यमंत्री मानकर नारे लगाने लगे। लेकिन तेजप्रताप, जो खुद भी लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे हैं, ने इसे अनुशासनहीनता करार दिया।

राजनीतिक संदेश

तेजप्रताप का यह बयान केवल नारों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उन्होंने साफ संदेश दिया है कि आरजेडी में किसी एक नेता को ‘सुप्रीम लीडर’ की तरह पेश करना सही नहीं है। पार्टी सामूहिक नेतृत्व की परंपरा पर चलती है और इसमें समाजवाद की झलक मिलनी चाहिए।

जनता और कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया

कार्यक्रम में मौजूद कई कार्यकर्ताओं को तेजप्रताप की यह बात कड़वी जरूर लगी, लेकिन उनका कहना था कि पार्टी में लोकतांत्रिक माहौल बना रहना जरूरी है। कुछ कार्यकर्ताओं ने माना कि तेजस्वी यादव को लेकर उत्साह के कारण यह नारे लगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पार्टी आरएसएस या बीजेपी की राह पर चल पड़ी है। वहीं, विपक्षी दलों ने इसे आरजेडी के भीतर मतभेद के रूप में पेश करने की कोशिश की।

विपक्ष के तंज

भाजपा नेताओं ने इस घटना पर तंज कसते हुए कहा कि आरजेडी परिवार के भीतर ही सबकुछ ठीक नहीं है। एक भाई दूसरे भाई को आगे बढ़ते नहीं देख पा रहा। वहीं, जदयू ने कहा कि आरजेडी का नेतृत्व हमेशा से परिवारवाद में उलझा रहा है और अब इसका असर सार्वजनिक मंचों पर भी दिखने लगा है।

तेजप्रताप का रुख

हालांकि, तेजप्रताप ने साफ कर दिया कि उनका मकसद तेजस्वी यादव का विरोध करना नहीं है। उन्होंने कहा कि वे अपने छोटे भाई के साथ खड़े हैं और हमेशा उनका सहयोग करेंगे। लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं को अनुशासन में रहना होगा और नारे उसी विचारधारा के होने चाहिए जिन पर आरजेडी की नींव रखी गई थी।

निष्कर्ष

इस घटना ने बिहार की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। जहां एक ओर यह दिखा कि तेजस्वी यादव का जनाधार लगातार बढ़ रहा है, वहीं तेजप्रताप ने यह जताने की कोशिश की कि पार्टी में व्यक्तिपूजा की जगह नहीं है। आरजेडी का आधार समाजवादी आंदोलन और सामाजिक न्याय की राजनीति है, और इसी पर टिके रहना पार्टी के लिए बेहतर होगा।

Also Read :

“बसपा में शक्ति संतुलन बदला, आकाश आनंद बने राष्ट्रीय संयोजक”