इकरा हसन पर रोक से सियासत गर्म, कहा- यूपी में लोकतंत्र नहीं रहा !

सपा सांसद इकरा हसन ने कहा, ‘‘मैं उत्तर प्रदेश की निवासी हूं और वहां से निर्वाचित जनप्रतिनिधि हूं. हमने बरेली में हुई हिंसा की घटनाओं के बारे में सुना और वहां जाकर लोगों से बात करना चाहते थे

उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर गर्म हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) की युवा सांसद इकरा हसन को शनिवार को बरेली जाने से रोक दिया गया, जिसके बाद उन्होंने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। इकरा हसन ने कहा कि राज्य में “अघोषित आपातकाल” जैसी स्थिति बनी हुई है, जहां विपक्षी नेताओं को न तो जनता से मिलने दिया जा रहा है और न ही अपनी बात रखने की आज़ादी है।

इकरा हसन पर रोक से सियासत गर्म, कहा- यूपी में लोकतंत्र नहीं रहा !
इकरा हसन पर रोक से सियासत गर्म, कहा- यूपी में लोकतंत्र नहीं रहा !

बरेली दौरे से पहले प्रशासन ने लगाई रोक

जानकारी के अनुसार, इकरा हसन बरेली के फरीदपुर इलाके में किसानों और स्थानीय नागरिकों से मिलने जा रही थीं। बताया गया कि वहां हाल ही में एक विवादित भूमि अधिग्रहण मामले को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई थी। इसी के चलते स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा का हवाला देते हुए सांसद को जिले में प्रवेश करने से रोक दिया।
पुलिस अधिकारियों का कहना था कि उनके दौरे से हालात बिगड़ सकते हैं, इसलिए कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियातन कदम उठाया गया।

सपा सांसद का तीखा बयान

इकरा हसन ने पुलिस की रोक पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा, “यह कैसा लोकतंत्र है, जहां सांसद को अपने ही प्रदेश में जनता से मिलने नहीं दिया जाता? यूपी में अघोषित आपातकाल लागू कर दिया गया है। सरकार जनता की आवाज को दबा रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी हमेशा जनता के साथ खड़ी रही है, लेकिन भाजपा सरकार विपक्ष के जनसंपर्क को भी अपराध की तरह मान रही है। “यह डर की राजनीति है। सरकार यह दिखाना चाहती है कि जो भी सवाल पूछेगा, उसे रोका जाएगा,” उन्होंने जोड़ा।

वीडियो संदेश में सरकार पर निशाना

घटना के बाद इकरा हसन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन भाजपा के इशारों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया कि मेरा बरेली जाना कानून व्यवस्था के लिए खतरा है। लेकिन असली खतरा तो उन लोगों से है जो लोकतंत्र को कुचल रहे हैं। यह अघोषित आपातकाल नहीं तो और क्या है?”
उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास सभी आवश्यक अनुमति थी, बावजूद इसके उन्हें जिले की सीमा पर रोक दिया गया।

सपा का समर्थन, बीजेपी पर हमला

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है और विपक्ष की आवाज को कुचलने का प्रयास कर रही है। “इकरा हसन को रोकना जनता को रोकने के बराबर है। जब एक सांसद को जनता से मिलने नहीं दिया जा रहा, तो आम नागरिक की आवाज का क्या होगा?” अखिलेश यादव ने पूछा।

सपा का समर्थन, बीजेपी पर हमला
सपा का समर्थन, बीजेपी पर हमला

सपा के अन्य नेताओं ने भी कहा कि सरकार विपक्षी नेताओं को डराने की कोशिश कर रही है, लेकिन पार्टी इससे पीछे नहीं हटेगी। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि इकरा हसन किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने जा रही थीं, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि जनता की असली समस्याएं उजागर हों।

बीजेपी का पलटवार

वहीं, भाजपा ने सपा के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “सरकार ने केवल कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया। इकरा हसन जानबूझकर संवेदनशील इलाके में राजनीतिक नाटक करना चाहती थीं। प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए सही कदम उठाया।”
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष को जनता को भड़काने की आदत है, और सरकार किसी को भी माहौल बिगाड़ने की इजाज़त नहीं देगी।

जनता के बीच चर्चा तेज

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है। कई लोगों ने इकरा हसन के समर्थन में लिखा कि एक सांसद को जनता से मिलने से रोकना लोकतंत्र के खिलाफ है, जबकि कुछ ने कहा कि सुरक्षा कारणों से प्रशासन का फैसला सही था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला विपक्ष और सरकार के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है, खासकर तब जब राज्य में अगले साल होने वाले पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी चल रही है।

निष्कर्ष

इकरा हसन का “अघोषित आपातकाल” वाला बयान उत्तर प्रदेश की सियासत में नई हलचल लेकर आया है। जहां सपा इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है, वहीं भाजपा इसे “सुरक्षा उपाय” करार दे रही है। इस घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि राज्य में राजनीतिक तापमान आने वाले दिनों में और चढ़ने वाला है।

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