राहुल गांधी के बयान से गरमाई राजनीति, ‘लंगड़े घोड़े’ पर विरोधियों का पलटवार !

राहुल गांधी की जुबान फिसली या रणनीति? ‘लंगड़ा घोड़ा’ टिप्पणी पर घमासान

कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा हाल ही में दिए गए “लंगड़ा घोड़ा” वाले बयान ने सियासी हलचल मचा दी है। एक चुनावी सभा में बोलते हुए राहुल गांधी ने कथित रूप से विपक्षी दलों की तुलना “लंगड़े घोड़े” से करते हुए कहा था कि “अगर कोई घोड़ा लंगड़ा हो, तो वो रेस नहीं जीत सकता।” इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

भाजपा समेत कई विपक्षी दलों ने राहुल के इस बयान को गैरजिम्मेदाराना और अपमानजनक करार दिया है। बीजेपी प्रवक्ताओं ने कहा कि राहुल गांधी बार-बार अपनी शब्दों की मर्यादा लांघते हैं और यह बयान उनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है। कुछ नेताओं ने इसे लोकतंत्र की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कांग्रेस नेतृत्व से माफी की मांग की है।

वहीं, कांग्रेस ने राहुल के बयान को राजनीतिक रूपक बताते हुए सफाई दी है। पार्टी के अनुसार, राहुल गांधी ने किसी को व्यक्तिगत रूप से निशाना नहीं बनाया, बल्कि यह एक प्रतीकात्मक बयान था जिससे वे विपक्ष की कमज़ोर नीतियों और नीतिगत दिशाहीनता की ओर इशारा कर रहे थे।

राहुल गांधी के बयान से गरमाई राजनीति, 'लंगड़े घोड़े' पर विरोधियों का पलटवार !
राहुल गांधी के बयान से गरमाई राजनीति, ‘लंगड़े घोड़े’ पर विरोधियों का पलटवार !

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी की बयानबाज़ी विवादों में घिरी हो। इससे पहले भी उनके भाषणों में कई बार ऐसे शब्द और टिप्पणियाँ सामने आई हैं, जो राजनीतिक और सामाजिक तौर पर आलोचना का कारण बनी हैं।

अब देखना यह होगा कि इस विवाद का असर आगामी सियासी समीकरणों पर कितना पड़ेगा और क्या कांग्रेस नेतृत्व इसे संभाल पाएगा या यह बयान एक बार फिर राहुल गांधी के लिए राजनीतिक नुकसान का कारण बनेगा।

राहुल गांधी ने क्या कहा था?

राहुल गांधी ने क्या कहा था?
राहुल गांधी ने क्या कहा था?

भोपाल में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं की तीन कैटेगरी बताई थीं। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में तीन तरह के घोड़े होते हैं, रेस के, बारात के और लंगड़े घोड़े। इसके बाद उन्होंने कहा था कि रेस के घोड़ों को दौड़ाया जाएगा। बारात के घोड़ों को बारात में भेजा जाएगा और लंगड़े घोड़ों को थोड़ा चारा-पानी देकर रिटायर कर दिया जाएगा। राहुल गांधी का आशय पार्टी के कर्मठ और कामचोर नेताओं से था। हालांकि, अब उनके शब्दों के चयन को लेकर बवाल हो रहा है।

3 जून 2025 को राहुल गांधी भोपाल दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि “एक है बारात वाला घोड़ा, एक है रेस वाला और एक है लंगड़ा! हमें छाटना है और बारात वाले को बारात में भेजना है, रेस वाले को रेस में भेजना है और लंगड़े वाले को रिटायर करना है.” उनके इस बयान पर पैरालंपिक खिलाड़ी से लेकर देश के नेताओं ने आपत्ति जताई है. केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी द्वारा अपने भोपाल प्रवास पर लंगड़े घोड़े शब्द के उपयोग पर आपत्ति जताई. 

पैरालंपिक प्लेयर ने क्या कहा?

राहुल गांधी के इसी बयान को लेकर अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर सतेंद्र लोहिया X पर पोस्ट कर कहा- “आदरणीय राहुल गांधी जी को विनम्र निवेदन. आप देश के राष्ट्रीय स्तर के सम्माननीय राजनेता हैं, और मैं व्यक्तिगत रूप से आपका लंबे समय से आदर करता आया हूं. मैं एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का पैरा स्विमर हूं साथ में दिव्यांग हूं, और इस देश का एक जिम्मेदार नागरिक भी हूं. हाल ही में भोपाल में दिए गए आपके एक सार्वजनिक वक्तव्य में आपने “लंगड़ा” शब्द का प्रयोग किया, जिसे सुनकर मन अत्यंत आहत हुआ. यह शब्द न केवल असंवेदनशील है, बल्कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार यह शब्दावली विलुप्त की जा चुकी है और कानूनी रूप से आपत्तिजनक मानी जाती है.

यह अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित किया गया है, और इसके पीछे उद्देश्य यही था कि दिव्यांग जनों को समाज में सम्मान और गरिमा के साथ स्थान मिले. माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा हमें “दिव्यांग” जैसा सकारात्मक शब्द दिया गया, जो हमारी क्षमताओं को दर्शाता है, न कि हमारी चुनौतियों को. ऐसे में जब देश किसी भी पार्टी के राष्ट्रीय नेता से इस प्रकार का असंवेदनशील शब्द सुनने को मिलता है, तो यह केवल एक व्यक्ति नहीं, पूरे दिव्यांग समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है. मैं नहीं जानता कि आपने किस संदर्भ में यह शब्द कहा, लेकिन मैं निवेदन करता हूं कि आप इस विषय पर एक स्पष्टीकरण दें, और भविष्य में दिव्यांग जनों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए,

इस प्रकार की भाषा के उपयोग से बचें. हम दिव्यांग लोग भी इस देश के नागरिक हैं, हमारा भी आत्मसम्मान है, और हमारा भी प्रतिनिधित्व है. हम केवल सहानुभूति नहीं, समान अधिकार और सम्मान की अपेक्षा रखते हैं आपसे निवेदन है कि आप इस विषय को गंभीरता से लें और देश के करोड़ों दिव्यांग जनों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, उचित प्रतिक्रिया दें.”

सिंधिया ने क्या कहा?

सिंधिया ने क्या कहा?
सिंधिया ने क्या कहा?

ग्वालियर दौरे पर पहुंचे सिंधिया ने कहाकि विकलांग शब्द की जगह अब हम सब दिव्यांग शब्द का उपयोग करते हैं जिसका मतलब वे लोग जिन्हे भगवान का विशेष आशीर्वाद हैं उन्हें तो हमें प्रणाम करना चाहिए लेकिन उलटे उन्हें अपशब्दों का, ऐसे शब्द का उपयोग करते हैं. ये किस हद तक जाएंगे इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.

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