“यूपी चुनाव 2027: बसपा की नई चाल, आकाश के सहारे जीत की पहल!”

बीते कई चुनावों में दयनीय प्रदर्शन करने वाली बसपा 2027 के चुनावों के लिए अभी से तैयारी में जुट गई है। मायावती इसकी सीधी निगरानी कर रही हैं। 

उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने खुद को मज़बूती से स्थापित करने की तैयारी शुरू कर दी है। 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बसपा ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी ने राज्यभर में करीब 1600 टीमों को सक्रिय किया है, जो जमीनी स्तर पर मतदाताओं से संपर्क साध रही हैं, संगठन को पुनर्जीवित कर रही हैं और स्थानीय स्तर पर मुद्दों की पहचान कर रही हैं।

यह टीमें गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर बूथ प्रबंधन से लेकर प्रचार रणनीति तक की ज़िम्मेदारी संभाल रही हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह पहली बार है जब बसपा इस स्तर पर इतनी व्यापक और पहले से तैयार रणनीति के साथ मैदान में उतर रही है।

"यूपी चुनाव 2027: बसपा की नई चाल, आकाश के सहारे जीत की पहल!"
“यूपी चुनाव 2027: बसपा की नई चाल, आकाश के सहारे जीत की पहल!”

बसपा सुप्रीमो मायावती अब धीरे-धीरे संगठनात्मक ज़िम्मेदारियों में आकाश आनंद को अधिक अहमियत दे रही हैं। बताया जा रहा है कि आकाश को 2027 की चुनावी योजना में मुख्य चेहरा नहीं, लेकिन मुख्य संयोजक के रूप में तैयार किया जा रहा है, ताकि युवा मतदाताओं से सीधा संवाद हो सके। पार्टी की आंतरिक बैठकों में आकाश को डिजिटल कैंपेन, युवाओं और शहरी मतदाताओं से जुड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मायावती अब परंपरागत वोटबैंक को संभालने और पार्टी की विचारधारा को मज़बूत करने पर फोकस कर रही हैं, जबकि आकाश के ज़रिए पार्टी नए वोटबैंक की तलाश में जुटी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा को पिछले दो विधानसभा चुनावों में जिस प्रकार हार का सामना करना पड़ा, उसके बाद यह बदलाव ज़रूरी हो गया था। खास बात यह है कि बसपा फिलहाल किसी गठबंधन की नीति पर नहीं चल रही और अकेले दम पर चुनाव की तैयारी कर रही है। पार्टी का यह आक्रामक और व्यवस्थित दृष्टिकोण यह संकेत देता है कि वह आगामी चुनावों में एक बार फिर खुद को निर्णायक ताकत के रूप में स्थापित करने की कोशिश में है। 1600 टीमों की ग्राउंड रिपोर्ट, आकाश आनंद की भूमिका और मायावती की चुप्पी को अब रणनीतिक मौन माना जा रहा है, जो समय आने पर बड़े फैसलों के साथ टूट सकता है।

बिहार चुनाव बाद सक्रिय होंगे आकाश

वहीं दूसरी ओर पार्टी के चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद बिहार चुनाव के बाद यूपी में भी सक्रिय हो सकते हैं। सूत्रों का कहना है फिलहाल बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर आकाश आनंद बिहार चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। जिसके बाद उन्हें यूपी में भी सक्रिय किया जा सकता है। फिलहाल यूपी और उत्तराखंड के संगठन की समीक्षा और उससे जुड़े फैसले बसपा सुप्रीमो खुद ले रही हैं।

बसपा कार्यकर्ताओं के दम पर बनी पार्टी है

बसपा नेताओं की नहीं, कार्यकर्ताओं की पार्टी है। समाज के सभी वर्गों के आपसी भाईचारे की बदौलत हमने सरकार भी बनाई है। बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर गांव-गांव जाकर कार्यकर्ताओं के जरिये संगठन को मजबूत किया जा रहा है। बसपा ऐसी नर्सरी है, जो नेता बनाती है। पहले बड़ा मुकाम हासिल करने वाले नेता अपने बेटे-बेटियों के चक्कर में दूसरे दलों में चले गए थे।-विश्वनाथ पाल, बसपा प्रदेश अध्यक्ष

बसपा सरकार के काम गिनाएंगी पार्टी


पार्टी का मानना है कि प्रदेश में जब-जब मायावती की सरकार रही तब-तब पिछड़ों और अति पिछड़ों के लिए बड़े पैमान पर काम किए गए थे. बसपा सुप्रीमो ने इन तमाम कामों को इस समाज के बीच ले जाने को कहा है. एक वक्त था जब ये लोग बसपा के साथ मजबूती से खड़े दिखाई देते थे, लेकिन अब इनका झुकाव बीजेपी और सपा की ओर हो गया है. बसपा इन वोटरों को फिर से अपने साथ जोड़कर 2027 में वापसी का सपना देख रही है. 

मायावती ने दो महीने पहले भी पार्टी की भाईचारा कमेटी को बहाल किया था जिसकी जिम्मेदारी पार्टी महासचिव मुनकाद अली को दी गई है. मुनकाद अली ने भी पश्चिमी यूपी में अपने इस काम को धार देना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि वो संगठन को एकजुट करने पर काम कर रहे हैं, जिसके आधार पर बसपा एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी करेगी और मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनेंगी. 

एक तरफ जहां बसपा की नजर पिछड़े और अति पिछ़ड़ों पर है तो वहीं दूसरी तरफ आकाश आनंद की वापसी से भी बसपा का आत्मविश्वास बढ़ा है. आकाश आनंद को युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है. युवा वर्ग में वो बहुत लोकप्रिय हैं, युवा ख़ुद को उनसे कनेक्ट भी कर पाते हैं.  

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