भक्तिभाव के बीच मची अफरातफरी, अव्यवस्था पर उठे सवाल
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम में रविवार को एक भव्य धार्मिक आयोजन के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया। भारी बारिश और तेज़ हवा के चलते टेंट का एक हिस्सा अचानक गिर गया, जिससे एक श्रद्धालु की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। हादसे के बाद पूरे परिसर में अफरा-तफरी मच गई और श्रद्धालुओं में चीख-पुकार मच गई।

हादसा कब और कैसे हुआ?
घटना रविवार दोपहर की है जब बागेश्वर धाम सरकार के मुखिया पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के सान्निध्य में एक दिव्य दरबार आयोजित किया जा रहा था। हजारों श्रद्धालु परिसर में मौजूद थे। अचानक मौसम ने करवट ली और तेज़ हवा के साथ बारिश शुरू हो गई। इसी दौरान मुख्य पंडाल में लगा एक बड़ा टेंट हवा के तेज़ झोंके से उखड़ गया और भारी भीड़ पर आ गिरा।
टेंट गिरने से कई लोग नीचे दब गए, जिनमें से एक बुजुर्ग श्रद्धालु की मौके पर ही मौत हो गई। लगभग 12 से अधिक श्रद्धालु घायल हुए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
रेस्क्यू और राहत कार्य
हादसे की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस और दमकल विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं। घायलों को तुरंत छतरपुर जिला अस्पताल और पास के स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती कराया गया।
प्रशासन ने जिला आपदा प्रबंधन बल की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और टेंट के नीचे फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
चश्मदीदों का क्या कहना है?
पंडाल में मौजूद कई चश्मदीदों ने बताया कि:
“टेंट का स्ट्रक्चर कमजोर लग रहा था। बारिश और हवा तेज हुई तो वह हिलने लगा, लेकिन आयोजकों ने पहले ही सावधानी नहीं बरती। अगर समय रहते टेंट खाली करा लिया जाता, तो शायद ये हादसा टल सकता था।”
कुछ श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया कि पंडाल में भीड़ क्षमता से कहीं अधिक थी और कोई इमरजेंसी निकास की व्यवस्था नहीं थी।
प्रशासन का बयान
छतरपुर के जिलाधिकारी ने बताया कि:
“प्रारंभिक जांच में टेंट गिरने की वजह मौसम की मार और तकनीकी खामी पाई गई है। मृतक श्रद्धालु के परिजनों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और घायलों का इलाज पूरी गंभीरता से किया जा रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि आयोजन की अनुमति देने से पहले सभी सुरक्षा मानकों की समीक्षा की गई थी, लेकिन अब जांच कराई जाएगी कि क्या किसी स्तर पर लापरवाही हुई।
आयोजकों की प्रतिक्रिया
बागेश्वर धाम प्रशासन ने हादसे पर दुख जताते हुए सभी श्रद्धालुओं से संयम बनाए रखने की अपील की है। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दिव्य दरबार को बीच में ही स्थगित कर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा:
“यह बहुत पीड़ादायक घटना है। हम सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। घायलों के इलाज और मृतक के परिवार की सहायता के लिए हर संभव मदद दी जाएगी।”
क्या थी सुरक्षा व्यवस्था?
इस आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। स्थानीय प्रशासन और आयोजन समिति ने पहले से पंडाल, टेंट, ध्वनि व्यवस्था और मेडिकल सहायता की व्यवस्था करने का दावा किया था। लेकिन इस हादसे के बाद सुरक्षा प्रबंधन की पोल खुल गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इतने बड़े धार्मिक आयोजनों में आपदा प्रबंधन की ठोस योजना, आपात निकास द्वार और मजबूत संरचनात्मक व्यवस्था अनिवार्य होती है, जिसकी कमी यहां देखी गई।
निष्कर्ष
बागेश्वर धाम में हुआ यह हादसा एक बार फिर दर्शाता है कि धार्मिक आस्था के आयोजनों में सुरक्षा को प्राथमिकता देना कितना आवश्यक है। श्रद्धालुओं की जान की कीमत पर कोई आयोजन सफल नहीं माना जा सकता। प्रशासन और आयोजन समिति पर अब यह जिम्मेदारी है कि आगे इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं।
जांच जारी है और दोषियों पर कार्रवाई की बात कही गई है, लेकिन असली सवाल यह है — क्या अगले आयोजन तक सबक लिया जाएगा?
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