शुरू होते ही सस्पेंस, हर मोड़ पर थ्रिल – ये मिस्ट्री फिल्म हिला देगी दिल!

मिस्ट्री थ्रिलर फिल्में देखना चाहते हैं तो आज हम आपको ऐसी बेहतरीन साउथ की मूवी के बारे में बताएंगे। जिसे देख आपके होश उड़ जाएंगे। क्राइम और सस्पेंस से भरपूर इस फिल्म को देख आपके दिल और दिमाग में खौफ बैठ जाएगा। फिल्म शुरू होते ही ऐसा सस्पेंस बनता है कि आप स्क्रीन से नजर नहीं हटा पाएंगे।

आज हम आपको एक ऐसी फिल्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने थ्रिल और मिस्ट्री से ओटीटी पर तहलका मचा दिया था। इस फिल्म की सबसे खास बात ये है कि इसकी पूरी कहानी सिर्फ हीरोइन के इर्द-गिर्द घूमती है। असल में यही इस मूवी की जान है। फिल्म शुरू होते ही आपके दिमाग में धीरे-धीरे कब्जा करने लगती है। हम जिस फिल्म की बात कर रहे हैं, उसका नाम ‘अथिरन’। 

शुरू होते ही सस्पेंस, हर मोड़ पर थ्रिल – ये मिस्ट्री फिल्म हिला देगी दिल!
शुरू होते ही सस्पेंस, हर मोड़ पर थ्रिल – ये मिस्ट्री फिल्म हिला देगी दिल!

जो दर्शकों को शुरू से अंत तक अपनी जटिल कहानी, ट्विस्ट्स और रहस्य से बांधे रखती है। फिल्म की सबसे बड़ी ताकत उसका क्लाइमेक्स है, जो न केवल चौंकाता है, बल्कि पूरी कहानी को नए नजरिए से देखने को मजबूर करता है। फिल्म के डायरेक्टर विवेक है और पीएफ मैथ्यूज ने इसकी कहानी लिखी है।

कहानी की पृष्ठभूमि

फिल्म की शुरुआत होती है एक मानसिक रोग संस्थान (psychiatric facility) से, जो दूरदराज एक पहाड़ी इलाके में स्थित है। डॉ. के.सी. नायर (फहाद फाज़िल) एक ऑडिट और निरीक्षण के लिए यहां पहुंचते हैं। संस्थान के प्रमुख डॉ. बेंजामिन डायस की अनुपस्थिति में, बाकी स्टाफ डॉक्टर नायर को मरीजों और उनकी केस हिस्ट्री से परिचित कराता है।

वहीं, नायर को एक रहस्यमयी युवती नित्या (साय पल्लवी) के बारे में पता चलता है, जिसे अलग कमरे में बंद कर रखा गया है। वह गैर-सामान्य व्यवहार करती है लेकिन उसमें असाधारण प्रतिभा और संवेदनशीलता है। नायर उसके साथ संवाद स्थापित करता है और धीरे-धीरे उसके अतीत के बारे में जानने लगता है।

क्लाइमेक्स की ओर मोड़

कहानी तब और रहस्यमय हो जाती है जब नायर को नित्या के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार और बाकी डॉक्टरों के व्यवहार में असामान्यता महसूस होती है। नायर को लगता है कि नित्या को जानबूझकर मानसिक रोगी घोषित कर अलग-थलग रखा गया है। वह उसके इलाज और मुक्ति के लिए प्रयास करता है।

जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, दर्शक सोचने लगता है कि नायर ही असली नायक है और नित्या की रक्षा कर रहा है — लेकिन यहीं पर फिल्म अपने सबसे बड़े ट्विस्ट की ओर बढ़ती है।

क्लाइमेक्स: असलियत का पर्दाफाश

फिल्म का सबसे बड़ा खुलासा यह होता है कि डॉ. के.सी. नायर असली डॉक्टर है ही नहीं। असल में वह खुद एक पागलखाने का मरीज है, जो पहले उसी संस्थान में भर्ती था। उसका असली नाम Vinayan है और उसे एक गंभीर साइकोपैथिक डिसऑर्डर है।

Vinayan अपने माता-पिता की हत्या कर चुका है और बचपन से ही मानसिक रूप से अस्थिर रहा है। वह नित्या को बचपन से जानता था और उससे जुड़ा हुआ था। जब उसे संस्थान में फिर से भेजा गया, तो वह खुद को डॉक्टर नायर के रूप में पेश करता है — और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि असली डॉ. नायर को मारकर उसकी जगह ले चुका होता है।

नित्या और विनयन का संबंध

नित्या और विनयन बचपन में दोस्त थे, लेकिन विनयन के हिंसक स्वभाव के कारण दोनों को अलग कर दिया गया था। नित्या का मानसिक असंतुलन भी काफी हद तक विनयन की हिंसक प्रवृत्ति और अतीत से जुड़ा हुआ है।

फिल्म के अंत में, Vinayan नित्या को संस्थान से बाहर निकाल ले जाता है और एक नाव में बैठकर भाग जाता है। फिल्म यह नहीं बताती कि आगे क्या होता है, लेकिन यह स्पष्ट होता है कि वह अब पूरी तरह से अपने मतिभ्रम और हिंसक प्रवृत्ति के अधीन है।

निष्कर्ष

‘अथिरन’ का क्लाइमेक्स न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह दर्शक को यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि फिल्म के दौरान हमने जो कुछ भी देखा, वह असल में एक अस्थिर मानसिकता की दृष्टि से देखा गया परिप्रेक्ष्य था

फहाद फाज़िल का अभिनय, साय पल्लवी की सादगी और रहस्यमय सेटिंग इस फिल्म को एक उत्कृष्ट साइकोलॉजिकल थ्रिलर बनाते हैं।

फिल्म का अंतिम दृश्य जब विनयन और नित्या नाव में बैठकर दूर जा रहे होते हैं, वह एक खामोश लेकिन बेचैन कर देने वाला अंत है – जो दर्शकों के मन में कई सवाल और आशंकाएं छोड़ देता है।

अथिरन’ एक ऐसी फिल्म है जो सस्पेंस, इमोशन और साइकोलॉजी के त्रिकोण में आपको पूरी तरह बांध लेती है – और इसका क्लाइमेक्स उस जाल को चुपचाप तोड़कर आपको झकझोर कर रख देता है।

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