राहुल गांधी का कोर्ट में सरेंडर ड्रामा: 5 मिनट में मिली जमानत, जानिए पूरा मामला !

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज लखनऊ के स्पेशल MP-MLA मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश हुए। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को आरोपी के तौर पर कोर्ट में तलब किया गया था।

कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी एक बार फिर से कानूनी कार्रवाई के चलते सुर्खियों में आ गए हैं। मंगलवार को लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में उन्होंने एक पुराने मानहानि मामले में सरेंडर किया और महज पांच मिनट के भीतर उन्हें जमानत मिल गई। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और कांग्रेस पार्टी ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया है। आइए जानते हैं पूरा मामला विस्तार से—

राहुल गांधी ने किया सरेंडर, 5 मिनट बाद मिली जमानत; जानें क्या है पूरा मामला
राहुल गांधी ने किया सरेंडर, 5 मिनट बाद मिली जमानत; जानें क्या है पूरा मामला

क्या है पूरा मामला?

यह मामला साल 2018 का है जब राहुल गांधी ने एक चुनावी रैली के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने उस वक्त कहा था, “अमित शाह एक हत्या के आरोपी हैं।” इस बयान को लेकर भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश के स्थानीय कार्यकर्ता विजय मिश्रा ने लखनऊ के एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था।

कोर्ट ने इस मामले में कई बार नोटिस भेजे, लेकिन राहुल गांधी की ओर से कोई पेशी नहीं हुई। नतीजतन, कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया था। इसी आदेश के अनुपालन में राहुल गांधी आज कोर्ट में पेश हुए।


कोर्ट में सरेंडर और 5 मिनट में जमानत

कोर्ट में सरेंडर और 5 मिनट में जमानत
कोर्ट में सरेंडर और 5 मिनट में जमानत

मंगलवार सुबह करीब 11:30 बजे राहुल गांधी लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में पहुंचे। उनके साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय, प्रियंका गांधी वाड्रा और कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। भारी सुरक्षा के बीच कोर्ट परिसर में प्रवेश करते ही उन्होंने मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

कोर्ट में मात्र 5 मिनट की कार्यवाही के बाद उन्हें व्यक्तिगत मुचलके पर जमानत मिल गई। जज ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अगस्त 2025 की तारीख तय की है।


कांग्रेस का पलटवार

राहुल गांधी की पेशी के बाद कांग्रेस ने इसे पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध बताया। पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, “ये मामला सिर्फ राहुल गांधी की आवाज दबाने की एक साजिश है। बीजेपी जानती है कि राहुल जनता के असली मुद्दे उठा रहे हैं – महंगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा – और उन्हें चुप कराने के लिए इस तरह के पुराने मामलों को उछाला जा रहा है।”

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लखनऊ और दिल्ली में प्रदर्शन किया और इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया।


भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मुद्दे पर कहा, “कानून सबके लिए बराबर है। यदि कोई कानून का उल्लंघन करता है या झूठे आरोप लगाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। राहुल गांधी को कानून की प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए, न कि कोर्ट को नजरअंदाज करना।”


क्या पड़ेगा इसका राजनीतिक असर?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की यह कोर्ट पेशी उन्हें एक “शहीद” छवि देने में मदद कर सकती है, खासकर कांग्रेस के कोर वोटबैंक में। यह घटना आने वाले राज्य चुनावों और लोकसभा चुनाव 2029 की रणनीति में भी एक भावनात्मक मुद्दा बन सकती है।


निष्कर्ष

राहुल गांधी का कोर्ट में सरेंडर और तत्परता से मिली जमानत एक ओर जहां कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है, वहीं दूसरी ओर यह भारतीय राजनीति में सत्ता और विपक्ष के बीच चल रही तनातनी का भी प्रतीक है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला आने वाले महीनों में किस दिशा में बढ़ता है और इसका असर राजनीतिक माहौल पर कैसा पड़ता है।

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