प्रशिक्षण के बीच मौत की छलांग, सिपाही ने बैरक से कूदकर दी जान !

फिरोजाबाद पुलिस लाइन में एक प्रशिक्षु सिपाही करन सिंह ने तीन मंजिला बैरक से कूदकर आत्महत्या कर ली। घटना सुबह आठ बजे हुई। पुलिस सिपाही के उठाए कदम की पड़ताल कर रही है। सिपाही गाजियाबाद का रहने वाला था। घटना के बाद प्रशिक्षु सिपाहियों ने विरोध प्रदर्शन किया जिसके चलते पुलिस लाइन का गेट बंद कर दिया गया।

जिले की पुलिस लाइन में उस समय सनसनी फैल गई जब एक प्रशिक्षु सिपाही ने तीन मंजिला बैरक से कूदकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान करन सिंह के रूप में हुई है, जो हाल ही में भर्ती होकर प्रशिक्षण ले रहा था। इस दुखद घटना ने न केवल पुलिस महकमे को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि पुलिस प्रशिक्षण के दौरान मानसिक दबाव और व्यवस्थागत खामियों को लेकर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

प्रशिक्षण के बीच मौत की छलांग, सिपाही ने बैरक से कूदकर दी जान !
प्रशिक्षण के बीच मौत की छलांग, सिपाही ने बैरक से कूदकर दी जान !

क्या है पूरा मामला?

मामला शनिवार रात करीब 11 बजे का है जब पुलिस लाइन परिसर स्थित बैरक नंबर 3 से एक सिपाही के कूदने की आवाज सुनाई दी। वहां तैनात अन्य पुलिसकर्मी तत्काल मौके पर पहुंचे, जहां करन सिंह खून से लथपथ हालत में गंभीर रूप से घायल मिला। उसे तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

करन सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस की हालिया भर्ती प्रक्रिया के तहत चयनित हुआ था और फिरोजाबाद पुलिस लाइन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा था। उसकी उम्र लगभग 23 वर्ष बताई जा रही है और वह मूल रूप से एटा जिले का रहने वाला था।

आत्महत्या या कुछ और?

हालांकि प्रथम दृष्टया यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, लेकिन पुलिस ने हर एंगल से जांच शुरू कर दी है। घटनास्थल पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, जिससे आत्महत्या के कारणों पर रहस्य बना हुआ है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अशोक कुमार राय ने बताया:

“यह एक बेहद दुखद और संवेदनशील मामला है। हमने जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रशिक्षु सिपाही के परिवार को सूचित किया जा चुका है। घटना के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए उसके साथियों और बैरक में मौजूद अन्य कर्मियों से पूछताछ की जा रही है।”

मानसिक तनाव का एंगल

पुलिस सूत्रों का कहना है कि करन सिंह पिछले कुछ दिनों से चुप-चुप रहता था और कम बोलता था। कुछ साथियों के मुताबिक वह मानसिक रूप से परेशान लग रहा था, लेकिन किसी को अंदेशा नहीं था कि वह ऐसा कठोर कदम उठा लेगा।

यह घटना पुलिस प्रशिक्षण के दौरान मौजूद मानसिक दबाव, अनुशासनात्मक सख्ती और व्यक्तिगत तनाव को लेकर फिर से चर्चा में ला देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि शुरुआती प्रशिक्षण के दौरान कई युवा सिपाही अत्यधिक दबाव का सामना करते हैं और अगर समय रहते काउंसलिंग या सहयोग न मिले, तो ऐसे परिणाम सामने आ सकते हैं।

परिवार का रो-रो कर बुरा हाल

जैसे ही करन सिंह की मौत की सूचना उसके घरवालों को दी गई, उनके बीच कोहराम मच गया। उसके पिता और भाई तत्काल फिरोजाबाद पहुंचे। परिवार वालों ने किसी तरह की दुश्मनी या पारिवारिक विवाद से इनकार किया है। हालांकि, वह पुलिस विभाग से मांग कर रहे हैं कि घटना की निष्पक्ष जांच हो और अगर प्रशिक्षण या कार्यस्थल का कोई दबाव था, तो वह सामने आना चाहिए।

विभागीय कार्रवाई और जांच

फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मृतक के मोबाइल फोन और बैरक की तलाशी लेकर कोई सुराग जुटाने की कोशिश की जा रही है। प्रशिक्षु सिपाही के कॉल रिकॉर्ड्स, सोशल मीडिया गतिविधियों और निजी डायरी की भी जांच की जा रही है।

पुलिस लाइन में सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं कि आखिर एक प्रशिक्षु सिपाही बिना किसी रोकटोक के बैरक की तीसरी मंजिल तक कैसे पहुंचा और छलांग लगाई।

निष्कर्ष

प्रशिक्षु सिपाही करन सिंह की आत्महत्या की यह घटना फिर से इस बात पर प्रकाश डालती है कि सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य को कितना नजरअंदाज किया जाता है। जिस उम्र में युवा देश की सेवा का सपना लेकर वर्दी पहनते हैं, उसी उम्र में इस तरह का कदम उठाना पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान लगाता है।

यह समय है जब पुलिस विभाग को अपने प्रशिक्षण ढांचे की समीक्षा करनी चाहिए और मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग को अनिवार्य रूप से शामिल करना चाहिए — ताकि भविष्य में कोई और करन सिंह इस तरह अपने सपनों को अधूरा छोड़कर न चला जाए।

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