बिहार विधानसभा में मानसून सत्र के तीसरे दिन भी जोरदार हंगामा हुआ। बुधवार को सदन में सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में नोकझोंक हुई है। आइए जानते हैं पूरा मामला।
बिहार विधानसभा का सत्र मंगलवार को उस समय राजनीतिक गर्मी का केंद्र बन गया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। सदन में कानून-व्यवस्था, अपराध और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर बहस चल रही थी, लेकिन मामला तब गरमा गया जब मुख्यमंत्री ने तेजस्वी यादव के कार्यकाल की ओर इशारा करते हुए कहा, “पटना में कोई शाम को निकलता था क्या? लोग डरते थे!”

सीएम नीतीश के इस बयान ने विपक्षी बेंचों को तिलमिला दिया और सदन में हंगामा मच गया। तेजस्वी यादव ने तुरंत जवाबी हमला बोलते हुए कहा, “मुख्यमंत्री अब भ्रम फैला रहे हैं। आपके शासन में ही सबसे ज्यादा महिलाओं पर अत्याचार, हत्या और अपहरण की घटनाएं हुई हैं।”
नीतीश का हमला – ‘हमने कानून का राज स्थापित किया’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा कि जब उन्होंने 2005 में बिहार की बागडोर संभाली थी, तब राज्य में अपराध अपने चरम पर था। उन्होंने दावा किया कि उनके शासन में कानून-व्यवस्था को मजबूत किया गया और लोगों में सुरक्षा की भावना लौटी।
उन्होंने कहा:
“अब कुछ लोग बोल रहे हैं कि हमने कुछ नहीं किया। हम पूछना चाहते हैं — पहले क्या स्थिति थी? पटना की सड़कों पर कोई शाम को निकलता था क्या? लोग डरते थे घर से निकलने में। हमने कानून का राज स्थापित किया है।”
सीएम का यह बयान स्पष्ट रूप से तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी राजद (RJD) की सरकारों के कार्यकाल पर तंज था, जब लालू यादव और बाद में राबड़ी देवी राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे।
तेजस्वी यादव का जवाब – ‘अब सबसे ज्यादा अपराध हो रहा है’
विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश के बयानों को “गुमराह करने वाला” और “वास्तविकता से दूर” बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान एनडीए सरकार के कार्यकाल में ही बिहार अपराध, बेरोजगारी और पलायन के मामलों में सबसे ऊपर है।
तेजस्वी ने आरोप लगाया:
“आज की तारीख में महिलाएं सबसे असुरक्षित हैं। रेप, अपहरण और लूट की घटनाएं बढ़ी हैं। युवा रोजगार की तलाश में बाहर जा रहे हैं। आप बार-बार पुराने दौर की बातें करके अपनी असफलताओं को छिपा नहीं सकते।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार सिर्फ “जुमलों और प्रचार” के सहारे चल रही है और जमीन पर कोई ठोस काम नहीं हो रहा।
सदन में हंगामा और वॉकआउट
नीतीश के बयान के बाद राजद और कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्षी विधायकों ने मुख्यमंत्री के बयान को अपमानजनक बताया और सदन से वॉकआउट कर दिया। अध्यक्ष ने कई बार शांत रहने की अपील की, लेकिन शोरगुल के कारण कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा।
राजनीतिक विश्लेषण

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह तकरार आगामी लोकसभा चुनाव 2026 के पहले की रणनीतिक झड़प का हिस्सा है। नीतीश कुमार जहां अपनी पुरानी उपलब्धियों को दोहराकर साख बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं तेजस्वी यादव नए मुद्दों को लेकर सरकार पर हमलावर हो रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि नीतीश का यह बयान न केवल तेजस्वी पर व्यक्तिगत हमला था, बल्कि यह राजद शासन की पुरानी छवि को फिर से उजागर करने की रणनीति भी है, जिससे भाजपा-नीतीश गठबंधन को जनता के बीच नैतिक बढ़त मिल सके।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा में हुआ यह टकराव सिर्फ एक राजनीतिक बहस नहीं, बल्कि राजनीतिक भविष्य की दिशा तय करने वाली जुबानी जंग का संकेत है। नीतीश कुमार का ‘शाम को कोई निकलता था…’ बयान जहां पुराने दौर की याद दिलाता है, वहीं तेजस्वी यादव का जवाब आज के हालात की तस्वीर पेश करता है।
अब यह बिहार की जनता पर निर्भर है कि वे किसके पक्ष में भरोसा जताती है — अतीत के कानून के राज पर, या वर्तमान की चुनौतियों पर।