ट्रेनिंग के दौरान खराब व्यवहार करने वाले फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है। महिला रिक्रूट ने पीटीआई पर गंदी-गंदी गालियां देने का आरोप लगाया था।
गोरखपुर पुलिस लाइन में कार्यरत एक फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर (PTI) पर महिला सिपाहियों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों ने पूरे पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया है। आरोपों के सामने आने के बाद संबंधित PTI को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय न्यायिक कमेटी गठित की गई है।

क्या हैं आरोप?
सूत्रों के अनुसार, महिला सिपाहियों ने आरोप लगाया है कि प्रशिक्षण के दौरान PTI अशोभनीय भाषा का प्रयोग करता था, अनुचित व्यवहार करता था और मानसिक उत्पीड़न करता था। शिकायत करने वाली सिपाहियों ने बताया कि PTI का व्यवहार लंबे समय से अनुचित था लेकिन डर और अनुशासन के चलते वे पहले सामने नहीं आ सकीं। हाल ही में एक महिला सिपाही के साहस के बाद अन्य ने भी अपनी आपबीती साझा की, जिसके बाद मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचा।
जांच की प्रक्रिया शुरू
पुलिस विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए PTI को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। गोरखपुर के एसएसपी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि प्रथम दृष्टया आरोप गंभीर प्रतीत हो रहे हैं, इसलिए निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए एक न्यायिक जांच कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी पूरे घटनाक्रम की तह तक जाएगी और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
महिला सिपाहियों का आरोप
बता दें कि बुधवार को गोरखपुर PAC ट्रेनिंग कैंप से महिला सिपाहियों के कुछ वीडियो सामने आए थे। इन वीडियो में उन्होंने बाथरूम में कैमरे लगे होने, एक ही RO से 600 लड़कियों द्वारा पानी पीने और 30 लड़कियों के लिए केवल एक खराब पंखे की सुविधा होने जैसे आरोप लगाए थे। इन वीडियो के सामने आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार को घेरने की कोशिश की। हालांकि, प्रशासन ने आरोपों पर तुरंत संज्ञान लेते हुए जांच करवाई और तत्काल कार्रवाई की।
गोरखपुर के शाहपुर इलाके के बिछिया स्थित 26 वीं वाहिनी पीएसी कैंपस में पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय हैं, जिसमें 2023 बैच की उत्तर प्रदेश नागरिक पुलिस की विभिन्न जनपदों की 598 महिलाएं सोमवार से ट्रेनिंग करने के लिए आई हैं।
महिला सिपाहियों की सुरक्षा को लेकर चिंता
इस घटना ने एक बार फिर पुलिस बल के भीतर महिला कर्मियों की सुरक्षा और कार्यस्थल पर शोषण के मुद्दे को उजागर कर दिया है। महिला पुलिसकर्मियों ने कहा कि वे अब चाहती हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और पुलिस लाइन जैसे अनुशासनात्मक माहौल में सभी अधिकारियों का व्यवहार आदर्श हो।
एक पीड़िता ने बताया, “हम यहां राष्ट्र सेवा के उद्देश्य से आई हैं, लेकिन जब हमारा ही प्रशिक्षक हमें अपमानित करे या डर का माहौल बनाए, तो यह हमारी मनोबल को तोड़ देता है। हम चाहते हैं कि दोषी को कड़ी सजा मिले ताकि किसी और बहन को यह सब न सहना पड़े।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया

गोरखपुर पुलिस प्रशासन ने पीड़ित सिपाहियों को आश्वासन दिया है कि उन्हें पूरी सुरक्षा और गोपनीयता के साथ न्याय दिलाया जाएगा। महिला थाने की वरिष्ठ अधिकारी को भी जांच में शामिल किया गया है ताकि पीड़ितों को अपनी बात रखने में असहजता न हो।
एसएसपी ने कहा, “पुलिस विभाग में अनुशासन सर्वोपरि है। यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी मर्यादा का उल्लंघन करता है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। हमारी प्राथमिकता है कि हर पुलिसकर्मी, विशेष रूप से महिला सिपाही, सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल में काम करे।”
समाज में प्रतिक्रिया
इस घटना ने न सिर्फ पुलिस महकमे बल्कि पूरे समाज में चर्चा को जन्म दिया है। महिला अधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और मांग की है कि जांच पारदर्शी हो और दोषी को जल्द सजा दी जाए।
निष्कर्ष
गोरखपुर पुलिस लाइन की यह घटना एक चेतावनी है कि अनुशासन और सत्ता के नाम पर किसी भी प्रकार का शोषण स्वीकार्य नहीं है। महिला सिपाहियों की आवाज़ ने जहां साहस और बदलाव की उम्मीद जगाई है, वहीं अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इस मामले में निष्पक्षता और तेजी से कार्रवाई करे। आने वाले दिनों में इस मामले की जांच की रिपोर्ट और उस पर की जाने वाली कार्रवाई यह तय करेगी कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होगी या नहीं।
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