जाति-धर्म आधारित कार्रवाई पर CM योगी ने सख्त एक्शन लेते हुए पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक को निलंबित करने के आदेश दिए हैं। इस कार्रवाई से प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाति-धर्म आधारित भेदभाव पर सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ने पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं। इस कार्रवाई के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है और यह स्पष्ट संदेश गया है कि प्रदेश में किसी भी तरह का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मामला क्या है
सूत्रों के अनुसार, पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक पर आरोप था कि उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में जाति और धर्म के आधार पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की। शिकायतों में यह भी कहा गया कि विभागीय योजनाओं के लाभ वितरण में निष्पक्षता नहीं बरती गई और कुछ विशेष जातियों व समुदायों को प्राथमिकता दी गई। इन गंभीर आरोपों की जांच कराई गई और प्रारंभिक रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि होने के बाद मुख्यमंत्री ने तुरंत निलंबन का आदेश जारी किया।
मुख्यमंत्री का सख्त संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा है कि प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा जाति, धर्म, क्षेत्र या भाषा के आधार पर भेदभाव करने की प्रवृत्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि जनहित और योजनाओं का लाभ पूरी पारदर्शिता के साथ सभी पात्र लाभार्थियों को मिलना चाहिए, चाहे उनकी जाति या धर्म कुछ भी हो।

सीएम योगी ने कहा, “सरकार की योजनाएं सभी नागरिकों के लिए हैं। किसी भी प्रकार का भेदभाव प्रदेश की छवि को धूमिल करता है और ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।”
जांच और आगे की कार्रवाई
इस मामले में शासन स्तर पर गठित विशेष जांच दल (SIT) ने संयुक्त निदेशक के खिलाफ विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में पाया गया कि उन्होंने कई पंचायत क्षेत्रों में योजनाओं के क्रियान्वयन के दौरान लाभार्थियों का चयन जातीय और धार्मिक आधार पर किया। इसके अलावा, कुछ विकास कार्यों में भी पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया।
निलंबन के साथ ही शासन ने विभागीय जांच के आदेश भी दे दिए हैं। इस जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ सेवा नियमों के तहत कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें बर्खास्तगी तक हो सकती है।
प्रशासनिक हलकों में चर्चा
इस कार्रवाई से प्रशासनिक महकमे में हलचल मच गई है। कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यह घटना सभी के लिए सबक है और अब योजनाओं के क्रियान्वयन में पूर्ण निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी। वहीं, कुछ अधिकारियों का मानना है कि सीएम योगी की यह सख्ती प्रदेश में सुशासन और जवाबदेही को मजबूत करेगी।
जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया
जनता ने इस फैसले का स्वागत किया है और सोशल मीडिया पर सीएम योगी की सराहना हो रही है। कई लोगों ने इसे ‘भ्रष्टाचार और भेदभाव के खिलाफ जीरो टॉलरेंस’ की नीति का उदाहरण बताया है।
वहीं, विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार पर सवाल भी उठाए हैं। उनका कहना है कि ऐसे मामले सामने आना इस बात का प्रमाण है कि सरकारी मशीनरी में अभी भी पक्षपात और भेदभाव की प्रवृत्ति मौजूद है। हालांकि, उन्होंने दोषियों पर तुरंत कार्रवाई को सकारात्मक कदम बताया।
नतीजा
पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक का निलंबन सीएम योगी के प्रशासनिक रुख को साफ दर्शाता है कि प्रदेश में भेदभाव और पक्षपात के लिए कोई जगह नहीं है। यह फैसला न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देगा, बल्कि अधिकारियों को भी यह संदेश देगा कि वे अपनी जिम्मेदारियां ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ निभाएं। आने वाले दिनों में इस मामले की जांच के नतीजों पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।