राहुल गांधी 17 अगस्त से बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू करेंगे, जिसका उद्देश्य कथित वोट चोरी और मतदाता सूची में गड़बड़ी के खिलाफ जनजागरण करना है। यह यात्रा 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में महागठबंधन की रैली के साथ समाप्त होगी।
बिहार की सियासत में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले माहौल गरमाने के लिए कांग्रेस ने एक बड़ा राजनीतिक अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राज्य में “वोटर अधिकार यात्रा” पर निकलेंगे। इस यात्रा का उद्देश्य मतदाताओं में जागरूकता फैलाना, चुनावी मुद्दों को प्रमुखता देना और केंद्र व राज्य सरकार पर दबाव बनाना है। कांग्रेस इसे अपनी चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा मान रही है।

यात्रा की शुरुआत और मार्ग
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, यह यात्रा अगले महीने के पहले सप्ताह में पटना से शुरू होगी। राहुल गांधी राज्य के विभिन्न जिलों में पहुंचकर जनसभाएं, पदयात्राएं और नुक्कड़ सभाएं करेंगे। इस दौरान वे ग्रामीण इलाकों, छोटे कस्बों और शहरी क्षेत्रों में भी लोगों से सीधा संवाद करेंगे।
यात्रा का पहला चरण पटना, गया, नवादा, और शेखपुरा जिलों से होकर गुजरेगा, जबकि दूसरे चरण में भागलपुर, मुंगेर, सहरसा और मधेपुरा जैसे जिलों को शामिल किया जाएगा। कुल मिलाकर 25 से अधिक जिलों में यह अभियान चलेगा।
अभियान का मकसद
राहुल गांधी का मुख्य फोकस मतदाताओं के अधिकार, चुनावी पारदर्शिता और वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ियों पर होगा। हाल के दिनों में उन्होंने कई बार आरोप लगाया है कि वोटर लिस्ट से लाखों नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं, जिससे विपक्षी दलों के समर्थकों को वोट देने से वंचित किया जा सके। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस इन मुद्दों को जनता के बीच जोर-शोर से उठाने की योजना बना रही है।
राहुल गांधी का संदेश

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी इस यात्रा के दौरान बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की समस्याएं और राज्य में उद्योगों की कमी जैसे मुद्दों पर भी खुलकर बात करेंगे। वे युवाओं को रोजगार देने और किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी जैसे वादों को दोहराएंगे। राहुल गांधी का संदेश होगा कि लोकतंत्र में हर वोट की अहमियत है और किसी को भी अपने मताधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
राजनीतिक महत्व
बिहार में कांग्रेस लंबे समय से गठबंधन की राजनीति के सहारे चुनाव लड़ती रही है, लेकिन इस बार पार्टी अपनी अलग पहचान और संगठनात्मक मजबूती पर जोर दे रही है। “वोटर अधिकार यात्रा” न केवल संगठन को जिला और ब्लॉक स्तर पर सक्रिय करेगी बल्कि यह कार्यकर्ताओं में नया उत्साह भी भरेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह यात्रा कांग्रेस के लिए बिहार में खोई हुई जमीन वापस पाने का प्रयास है। हालांकि, बीजेपी और जेडीयू इस अभियान को महज चुनावी स्टंट बता रहे हैं।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राहुल गांधी को पहले अपने दल की आंतरिक स्थिति सुधारनी चाहिए, क्योंकि जनता उनके भाषणों से प्रभावित नहीं होती। वहीं, जेडीयू नेताओं ने इसे कांग्रेस की “राजनीतिक हताशा” करार दिया।
इसके जवाब में बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विपक्षी दल कांग्रेस की इस यात्रा से डर गए हैं, क्योंकि यह सीधे जनता के मुद्दों को केंद्र में लाने वाली है।
निष्कर्ष
“वोटर अधिकार यात्रा” बिहार में कांग्रेस की चुनावी रणनीति का एक अहम हथियार साबित हो सकती है, खासकर अगर यह यात्रा मतदाताओं के बीच भरोसा और जुड़ाव पैदा करने में सफल होती है। अब देखने वाली बात होगी कि राहुल गांधी की यह पहल जनता के दिलों को जीत पाती है या चुनावी सरगर्मी में सिर्फ एक और राजनीतिक कार्यक्रम बनकर रह जाती है।
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