जेडीयू के सीनियर नेता रहे पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह आरजेडी में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वह काम करेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मी चरम पर पहुंच गई है। सभी दल अपने-अपने समीकरण साधने और विरोधियों को कमजोर करने की रणनीति में जुटे हैं। इसी बीच जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को एक बड़ा झटका लगा है। बेगूसराय जिले से जुड़े कद्दावर नेता और पूर्व बाहुबली विधायक बोगो सिंह ने जेडीयू का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का दामन थाम लिया है। इस घटनाक्रम ने न केवल जेडीयू के लिए संकट खड़ा कर दिया है बल्कि आरजेडी खेमे में जोश भी भर दिया है।

क्यों अहम है बोगो सिंह का आरजेडी में जाना?

बेगूसराय का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां बाहुबली नेताओं का गहरा असर रहा है। बोगो सिंह लंबे समय से इस इलाके की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कई बार विधानसभा चुनावों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और समर्थकों के बड़े वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखा। ऐसे में उनका आरजेडी में शामिल होना यह संकेत देता है कि चुनावी मैदान में समीकरण बदल सकते हैं। आरजेडी को उम्मीद है कि बोगो सिंह के जुड़ने से पार्टी को बेगूसराय और आसपास के इलाकों में मजबूती मिलेगी।
जेडीयू के लिए झटका क्यों?
जेडीयू ने हमेशा से बेगूसराय को अपना मजबूत गढ़ माना है। यहां पार्टी का संगठन भी मजबूत माना जाता रहा है। लेकिन बोगो सिंह जैसे प्रभावशाली नेता के अलग हो जाने से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटना तय है। जेडीयू के भीतर इस फैसले से असंतोष की लहर भी देखने को मिल रही है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि चुनाव से ठीक पहले यह पार्टी की रणनीति को कमजोर कर सकता है।
बोगो सिंह का बयान
आरजेडी में शामिल होने के बाद बोगो सिंह ने कहा,
“मैंने यह फैसला सोच-समझकर लिया है। जेडीयू में मेरी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। आरजेडी ने मुझे वह सम्मान दिया है जिसकी मुझे उम्मीद थी। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की नीतियों से मैं प्रभावित हूं और चाहता हूं कि बिहार में बदलाव आए।”
उन्होंने आगे कहा कि वे अपने समर्थकों के साथ अब आरजेडी के लिए काम करेंगे और पार्टी को चुनाव में जीत दिलाने में योगदान देंगे।
आरजेडी खेमे में जश्न
आरजेडी नेताओं ने बोगो सिंह के पार्टी में शामिल होने का स्वागत किया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि उनका साथ मिलना पार्टी के लिए बड़ी ताकत है। उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है और जेडीयू-बीजेपी गठबंधन से ऊब चुकी है। तेजस्वी ने यह भी जोड़ा कि बोगो सिंह जैसे जमीनी नेताओं का जुड़ना आरजेडी को और मजबूती देगा।
चुनावी समीकरण पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बोगो सिंह के आरजेडी में जाने से बेगूसराय और आसपास की सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प हो जाएगा। यह क्षेत्र पहले से ही कड़ा राजनीतिक अखाड़ा रहा है, जहां वामपंथी, जेडीयू और बीजेपी का भी प्रभाव रहा है। ऐसे में बोगो सिंह का आरजेडी में शामिल होना जातीय समीकरणों और स्थानीय वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है। खासकर यादव और मुस्लिम मतदाताओं के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के वोटों में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।
जेडीयू का पलटवार
जेडीयू ने बोगो सिंह के फैसले को ज्यादा महत्व न देते हुए कहा कि पार्टी कार्यकर्ता पूरी तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हैं। जेडीयू प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा,
“चुनाव के वक्त कई नेता अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के कारण पार्टी बदलते हैं। लेकिन जनता नीतीश कुमार पर भरोसा करती है और हमारी जीत तय है।”
हालांकि पार्टी के अंदरूनी सूत्र मान रहे हैं कि यह कदम जेडीयू की चुनावी तैयारियों को थोड़ा कमजोर कर सकता है।
जनता का रुख
बेगूसराय और आसपास के इलाकों में इस घटनाक्रम पर लोगों की अलग-अलग राय सामने आ रही है। कुछ लोग इसे आरजेडी के लिए बड़ा फायदा बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि केवल एक नेता के आने-जाने से चुनावी नतीजों पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। हालांकि यह सच है कि बाहुबली नेताओं का अपना अलग असर होता है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष
बिहार चुनाव से पहले बोगो सिंह का जेडीयू छोड़कर आरजेडी में जाना राज्य की राजनीति में एक बड़ा मोड़ है। इससे न केवल बेगूसराय की सीट पर बल्कि आसपास की कई सीटों पर भी असर देखने को मिलेगा। जेडीयू को यह झटका भारी पड़ सकता है, वहीं आरजेडी इसे अपने लिए मजबूती के तौर पर देख रही है। आने वाले दिनों में यह तय होगा कि यह दांव किसे चुनावी जीत के करीब ले जाता है।
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