संभल हिंसा को लेकर सपा संसद जियाउर्रहमान बर्क पर कसा शिकंजा !

संभल में हुई पिछले साल 24 नंवबर को शाही जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर सर्वे के दौरान हिंसा मामले में अब पुलिस जांच में एक के बाद एक सच …

उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले साल 24 नंवबर को शाही जामा मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की हिंसा मामले में समाजवादी पार्टी सांसद जियाउर्रहमान बर्क की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस की जांच में एक के बाद एक सच सामने आ रहा है। जामा मस्जिद सर्वे के विरोध की साजिश में घिर चुके संभल के सपा सासंद जियाउर्रहमान बर्क का बच पाना अब मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन लग रहा है। पुलिसिया जांच में जब कॉल डिटेल्स खंगाली गई तो सपा सासंद जियाउर्रहमान बर्क की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध निकलकर सामने आई है। संभल हिंसा मामले में गिरफ्तार शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर जफर अली ने पुलिस पूछताछ में स्वीकार किया है कि हिंसा से पूर्व और बाद में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क पल पल की जानकारी ले रहे थे। मिली जानकारी के अनुसार, सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने 23 नंवबर को रात्रि 12.32 बजे फोन कॉल पर कहा था कि मैं संभल से बाहर हूं, सर्वे नहीं होने देना है।

साथ ही, सर्वे का पुरजोर विरोध किया जाए। इसके बाद संभल में हिंसा हुई इसके बावजूद भी सांसद संपर्क में बने रहे। इतना ही नहीं 25 नंवबर को सासंद के कहने पर ही पुलिस पर फायरिंग करने का आरोप मढ़ा गया था। दरअसल, शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली को संभल में हिंसा भड़काने के मामले में 23 मार्च को अरेस्ट कर लिया गया था। उनकी जमानत अर्जी बीते शुक्रवार को भी खारिज कर दी गई।

संभल हिंसा को लेकर सपा संसद जियाउर्रहमान बर्क पर कसा शिकंजा !
संभल हिंसा को लेकर सपा संसद जियाउर्रहमान बर्क पर कसा शिकंजा !

बनाई गई थी छह सदस्यीय कमेटी 

छह सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। कमेटी को ही सर्वे की जानकारी धी। इस कमेटी में जफर अली भी थे। इन्होंने ही हिंसा कराई है। इनके भड़काने पर पथराव, फायरिंग और आगजनी की गई। जामा मस्जिद के मंदिर होने का दावा 19 नवंबर को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की कोर्ट में दाखिल किया गया था।कोर्ट ने उसी दिन अधिवक्ता रमेश राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे का आदेश दिया था। पहले चरण का सर्वे उसी दिन किया गया। अगले चरण के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़की थी। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी, 30 अधिकारी व पुलिसकर्मी घायल हुए थे। हिंसा में सात प्राथमिकी पुलिस ने दर्ज कराई हैं।वहीं, चार मृतकों के स्वजन और एक घायल के स्वजन की ओर से प्राथमिकी कराई गई है। सभी प्राथमिकी में सांसद जियाउर्रहमान बर्क, विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल सहित 37 नामजद और 3750 आरोपित अज्ञात है। पुलिस अब तक 81 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। जिनमें फरहाना को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया है। अन्य किसी को जमानत नहीं मिली है।

बगैर नक्शा पास कराए हुआ नया निर्माण?

दूसरी तरफ घर में हुए निर्माण को लेकर जियाउर्रहमान बर्क को अब तक 3 बार नोटिस दिया जा चुका है। साथ ही 5 दिसंबर से लेकर अभी तक 14 बार दस्तावेज जमा कराने के लिए बुलाया गया है। अब 5 अप्रैल को उन्हें 15वीं बार बुलाया गया है ताकि वो समय रहते हुए घर का नक्शा और बाकी डिटेल जमा करवा सकें, लेकिन अभी तक बर्क की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। बर्क ने घर में जो निर्माण कराया है वह 1.5 से 2 साल पुराना है। बताया जा रहा है नया निर्माण बिना नक्शा पास कराए कराया गया है।

हाई कोर्ट ने लगाई है गिरफ्तारी पर रोक

हाई कोर्ट ने लगाई है गिरफ्तारी पर रोक
हाई कोर्ट ने लगाई है गिरफ्तारी पर रोक

संभल में हिंसा भड़काने को लेकर सदर जफर अली की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। पुलिस को बर्क की भूमिका को लेकर भी शक है। 24 नवंबर को हुए दंगों में बर्क नामजद आरोपी हैं। बता दें कि संभल हिंसा मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सांसद जियाउर्रहमान बर्क की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है, हालांकि सांसद के खिलाफ दर्ज FIR अभी तक रद्द नहीं हुई है। यही वजह है कि सांसद पर अब SIT का शिकंजा कसा जा रहा है।

संभल हिंसा केस में अब तक 81 गिरफ्तार

संभल हिंसा मामले में पुलिस अब तक 81 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में पुलिस की जांच का दायरा और बढ़ाया जा रहा है। अगर जांच के दौरान पुलिस को दंगे में बर्क की भूमिका के सबूत मिलते हैं संभल सांसद की मुश्किलें बढ़ना तय है। वहीं नगर पालिका की टीम बर्क के घर और बाहर की नपाई कर चुकी है। रेगुलेशन ऑफ बिल्डिंग एक्ट के मुताबिक अगर जल्द ही जियाउर्रहमान बर्क की तरफ से दस्तावेज जमा नहीं किए गए तो फिर घर पर भी एक्शन हो सकता है।

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