AI से बढ़ रहा Cyber Froud,जिसकी हमें नहीं हैं भनक !

आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस (एआई टेक्नोलॉजी) का उपयोग करके अब साइबर जालसाज लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. टेक्नोलाॅजी के इस नए अवतार से लोग आसानी से साइबर क्रिमिनल्स के जाल में फंस रहे हैं.

घिबली स्टाइल फोटो बनाने के बाद बीते कुछ दिनों से chatgpt से नकली आधार और पैन कार्ड भी बनाया जाने लगा है। इंटरनेट मीडिया पर लोग इस तरह के नकली आधार और पैन कार्ड बनाकर साझा भी कर रहे हैं। हालांकि, डिजिटल आयडेंटिटी में छेड़‌छाड़ के लिए पहले से ही स्कैमर्स के पास कई सारे टूल्स हैं, लेकिन जिस सहजता के साथ ये काम एआइ से हो रहे हैं, उरस्से सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़नी स्वाभाविक हैं।

AI से बढ़ रहा Cyber Froud,जिसकी हमें नहीं हैं भनक !
AI से बढ़ रहा Cyber Froud,जिसकी हमें नहीं हैं भनक !

खासकर, जो लोग दस्तावेजों के सत्यापन में सहज नहीं हैं, उनसे साइबर उगी को आशंका काफी प्रबल हो गई है। इससे बचने के लिए हमें यह भी समझना होगा कि नाए आधार और पैन कार्ड (पैन 2.0) दोनों में ही एंटी-फाड फीचर्स जोड़े गए हैं, जिससे अपर्ड की फेक कापी बनाना या केवाइसी को बायपास करना आसान नहीं है।

AI से बढ़ रहा Cyber Froud,जिसकी हमें नहीं हैं भनक !
AI से बढ़ रहा Cyber Froud,जिसकी हमें नहीं हैं भनक !

दोनों में टैपर प्रूफ क्यूआर कोड होलोग्राम, माइक्रो टेक्स्ट और नए लोगों जैसे फीचर्स अतिरिक्त सुरक्षा देते हैं। फिर भी, जेनोटिव एआइ टूल्स जिस तरह वास्तविक प्रतीत होने वाले फोटो लोगो और डिजाइन बना रहे हैं, उससे साइबर ठगों के हाथ एक उपयोगी हथियार जरूर लग गया है। एआइ के दुरुपयोग का मामला यहीं तक सीमित नहीं है। मैकेफी की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि एआइ बेस्ड रोमांस स्कैम, फर्जी डेटिंग एप्स और डीपफेक वाली धोखाधड़ी में बेशुमार वृद्धि हुई है।

फ्राड गतिविधियों में AI का प्रयोग

फ्राड गतिविधियों में AI का प्रयोग
फ्राड गतिविधियों में AI का प्रयोग

पहले और वर्तमान साइबर फ्रॉड में अंतर यही है कि अब साइबर अपराधियों के लिए समय और संसाधनी दोनी ही स्तरों पर एआइ से फायदा मिल रहा है। कुछ कोडेड इंस्ट्रक्शन से ग्लोबल लेवल का फिशिंग कैपेन तैयार करना आसान हुआ है इसका आसानी से अनेक भाषाओं में मशीनी अनुवाद संभव हुआ है, ग्रामर और वर्तनी की त्रुटियों आसानी से खत्म कर फिशिंग स्कैम की वास्तविक प्रतीत होने वाले मैसेज में बदता आ सकता है। कुछ खास तरह के स्कैम में वाट का सक्सेस रेट 60 प्रतिशत अधिक रहता है। इसी तरह स्कैमर हाटा में पैटर्न की पहचान करने और बाधक डाटा गेट्‌स में से संवेदनशील जानकारियों को निकालने के लिए एआइ की मदद ले सकते है। इससे सिबंटिक आइडेंटिटी फ्रॉड, डीपफेक स्कैम जैसे जोखिम काफी बढ़ गए है।

एआइ ने कैसे बढ़ाया है खतरा

एआइ ने कैसे बढ़ाया है खतरा
एआइ ने कैसे बढ़ाया है खतरा

जन सामान्य के बीच कप्यूटर की शुरुआत के साथ ही डाटा सुरक्षा और साइबर अपराधियों के बीच एक अदृश्य युद्ध चल रहा है। यह संघर्ष समय के साथ व्यापका और जटिल भी हुआ है। साइबर क्राइम मैग्जीन की माने तो साइबर अपराधों के धलते दुनियाभर में वर्ष 2025 के अंत तक 10 ट्रिलियन डालर तक का नुकसान हो सकता है।

डाटा ब्रीच और हैक जैसे साइबर हमाली से 60 प्रतिशत सीटे बिजनेस छह महीने में ही दम तोडने लगते हैं। आज की सबसे चर्चित तकनीक जहां हर संस्थान के लिए आइटी टूलबाक्स ‘बन रही है, तो वहीं यह साइबर अपराधियों के लिए सबसे खतरनाक हथियार। एआइ या मशीन लर्निंग एल्गोरिदम अपराधों में ऑटोमेशन और तीव्रता प्रदान करते हैं। अगर आपके साथ हाल के दिनों में स्कैम या फ्रॉड की कोशिशे हुई है तो पूरी संभावना है कि इसमें AI की ताकत को जरूर परखा गया होगा।

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