“INS विक्रांत पर पहुंचे राजनाथ सिंह, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद यह दौरा नौसेना का मनोबल बढ़ाने के लिए है।
भारत की समुद्री ताकत और रणनीतिक क्षमताओं ने एक बार फिर अपना लोहा मनवाया है.’ऑपरेशन सिंदूर’ की अप्रत्याशित सफलता के बाद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर पहुंचें. यह दौरा ऑपरेशन सिंदूर की शानदार सफलता के बाद हो रहा है, जिसमें भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत और रणनीतिक क्षमता का लोहा मनवाया है। अरब सागर में तैनात INS विक्रांत पर रक्षा मंत्री ने नौसेना के अधिकारियों और जवानों से मुलाकात की है, उनका हौसला बढ़ाया है और ऑपरेशन की सफलता पर चर्चा की है।

INS विक्रांत: समंदर का शेर और भारत की सुरक्षा की ढाल
INS विक्रांत भारत का पहला पूरी तरह स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है, जिसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो की देखरेख में तैयार किया है. लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बना यह पोत 75% तक स्वदेशी तकनीक और सामग्री पर आधारित है.
- लंबाई: 262 मीटर
- चौड़ाई: 62 मीटर
- ऊंचाई: 59 मीटर
- वजन: 30,000 टन से अधिक
यह युद्धपोत 30 से अधिक लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर ले जाने की क्षमता रखता है. मिग-29K, कामोव हेलीकॉप्टर और स्वदेशी ALH इसकी हवाई ताकत का हिस्सा हैं. इसके डेक पर उन्नत रडार, CIWS और ऑटोब्रेडा गन इसे एक ‘चलता-फिरता किला’ बनाते हैं.
भारत की शान क्यों है INS विक्रांत?

INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, और यह सही मायनों में समुद्र में भारत का सबसे ताकतवर प्रहरी है। इसका डिजाइन भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) ने तैयार किया, और इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL), कोच्चि में किया गया। इसकी अनुमानित लागत लगभग 20,000 करोड़ रुपये है, और इसमें 75% तक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है।
ऑपरेशन सिंदूर: रणनीति, सटीकता और शक्ति का संगम
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सैन्य शक्ति का ताजा उदाहरण है. इस अभियान में INS विक्रांत ने कैरियर बैटल ग्रुप का नेतृत्व किया, जिसमें 8–10 एडवांस वॉरशिप शामिल थे. उत्तरी अरब सागर में इसकी फॉरवर्ड तैनाती ने पाकिस्तान को कराची नेवल बेस के अंदर ही सिमटने पर मजबूर कर दिया. भारतीय नौसेना की इस कार्रवाई ने स्पष्ट कर दिया कि यदि पाकिस्तान उकसावे की कोशिश करता है, तो भारत उसकी समुद्री ताकत ही नहीं, जमीनी ठिकानों पर भी निर्णायक प्रहार कर सकता है.
क्यों डरता है पाकिस्तान INS विक्रांत से?
पाकिस्तान की नौसेना के पास महज कुछ दर्जन वॉरशिप्स हैं, जबकि INS विक्रांत जैसे कैरियर की मौजूदगी पूरे युद्ध परिदृश्य को पलट सकती है. इसकी रेंज, गति, और हथियार प्रणाली इतनी उन्नत है कि यह एक साथ समुद्र, आकाश और जमीन पर हमला करने की क्षमता रखता है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ही पाकिस्तान ने सीजफायर की मांग की, जो यह साबित करता है कि INS विक्रांत की तैनाती ने पड़ोसी मुल्क की रणनीतिक हिम्मत तोड़ दी.
INS विक्रांत पर रक्षा मंत्री की मौजूदगी का महत्व

रक्षा मंत्री का यह दौरा केवल एक औपचारिक यात्रा नहीं है. यह भारतीय नौसेना की सक्रिय भूमिका की मान्यता और देश की रणनीतिक क्षमता पर सरकार के भरोसे का प्रतीक है. इससे पहले राजनाथ सिंह ने श्रीनगर और भुज में थलसेना व वायुसेना के जवानों से भी मुलाकात की थी. INS विक्रांत पर उनकी मौजूदगी यह दिखाती है कि भारत अब सिर्फ रक्षा नहीं कर रहा, बल्कि रणनीतिक बढ़त हासिल कर रहा है. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सैन्य इच्छाशक्ति का प्रमाण बताया है.
INS विक्रांत का दौरा क्यों कर रहे हैं रक्षा मंत्री?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह दौरा ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जश्न मनाने और नौसैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए है। इससे पहले, उन्होंने श्रीनगर में थलसेना और भुज में वायुसेना के जवानों से मुलाकात की थी। आज INS विक्रांत पर उनकी मौजूदगी नौसेना की ताकत और भारत की रक्षा नीति को और मजबूत करने का संदेश देगी। रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया है, जो पाकिस्तान के भीतर तक असर दिखा रहा है।
Also Read :
“वडोदरा में मोदी के साथ कदमताल, सोफिया कुरैशी के परिवार ने बढ़ाया हौसला!”