केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे पास धन की कोई कमी नहीं है। इस सड़क के बनने से लोगों को आने-जाने में बड़ी राहत और सुविधा हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश के तेजी से विकसित होते शहर नोएडा को जल्द ही एक और एक्सप्रेसवे की सौगात मिल सकती है। बढ़ती आबादी, ट्रैफिक दबाव और औद्योगिक विस्तार को देखते हुए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) एक नए एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट पर विचार कर रही है, जिसका प्रस्ताव केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
इस संभावित प्रोजेक्ट का उद्देश्य नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच यातायात को सुगम बनाना, दिल्ली से जुड़ाव को बेहतर करना और आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों को निर्बाध कनेक्टिविटी देना है। प्रस्ताव की प्रारंभिक रूपरेखा तैयार कर ली गई है और यदि केंद्र से मंजूरी मिलती है, तो जल्द ही इस परियोजना का निर्माण कार्य भी आरंभ हो सकता है।

क्या है प्रस्तावित एक्सप्रेसवे की रूपरेखा?
नोएडा अथॉरिटी और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने मिलकर एक प्रस्ताव NHAI को भेजा है, जिसमें नोएडा के सेक्टर 150 से यमुना एक्सप्रेसवे के बीच एक नया एक्सप्रेसवे विकसित करने की योजना है। यह एक्सप्रेसवे करीब 25 किलोमीटर लंबा हो सकता है और इसे ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के तौर पर विकसित किया जाएगा।
इसके अलावा यह प्रस्तावित एक्सप्रेसवे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और आगामी जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भी जुड़ेगा, जिससे इसकी रणनीतिक और आर्थिक महत्ता और अधिक बढ़ जाएगी।
नितिन गडकरी ने क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को हाल ही में इस प्रस्ताव के संबंध में जानकारी दी गई। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इस योजना में गहरी दिलचस्पी दिखाई और संबंधित अधिकारियों से विस्तृत प्रेजेंटेशन और तकनीकी मूल्यांकन रिपोर्ट जल्द से जल्द मांगी है।
गडकरी ने कहा,
“भारत को विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है और उत्तर प्रदेश में विकास की असीम संभावनाएं हैं। नोएडा में नया एक्सप्रेसवे न केवल क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूती देगा बल्कि निवेश और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।”
एक्सप्रेसवे से क्या होंगे फायदे?

- यातायात दबाव में कमी: नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे पर बढ़ते ट्रैफिक का बोझ घटेगा।
- बेहतर कनेक्टिविटी: जेवर एयरपोर्ट, दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर और पूर्वी पेरिफेरल से सीधा जुड़ाव मिलेगा।
- औद्योगिक विकास: नए एक्सप्रेसवे के आसपास औद्योगिक कॉरिडोर और वेयरहाउसिंग हब विकसित हो सकते हैं।
- पर्यावरण संतुलन: ग्रीनफील्ड तकनीक से विकसित होने के कारण इसमें पर्यावरणीय संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
- प्रॉपर्टी वैल्यू में वृद्धि: जिन क्षेत्रों से एक्सप्रेसवे गुजरेगा, वहां की भूमि और आवासीय कीमतों में तेजी आएगी।
स्थानीय प्रशासन और निवेशकों की प्रतिक्रिया
नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने इस प्रस्ताव को विजनरी प्लान करार दिया है। उनके अनुसार, यह एक्सप्रेसवे आने वाले 10 वर्षों के लिए एक मजबूत आधारशिला सिद्ध हो सकता है।
वहीं, रियल एस्टेट सेक्टर के विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रोजेक्ट नोएडा में निवेशकों के भरोसे को और मजबूत करेगा। विशेष रूप से जेवर एयरपोर्ट और फिल्म सिटी के बाद, यह तीसरा बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट होगा जो क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान देगा।
निष्कर्ष
नोएडा के विकास की गति लगातार तेज होती जा रही है और अब एक नया एक्सप्रेसवे इस दिशा में एक और बड़ा कदम साबित हो सकता है। यदि नितिन गडकरी के मंत्रालय से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो नोएडा के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में यह मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है।
अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं—क्या नोएडा को जल्द मिलेगा एक और एक्सप्रेसवे?