“मध्यप्रदेश में पर्यटन का बढ़ता क्रेज, हर उम्र के सैलानियों को कर रहा आकर्षित”

मध्य प्रदेश में लगातार पर्यटन बढ़ता जा रहा है। सीएम मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में लगातार बढ़ रहे पर्यटन पर जोर देते हुए कहा कि यहां हर आयु के पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता है।

भारत के दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में पर्यटन लगातार रफ्तार पकड़ रहा है। ऐतिहासिक धरोहरों, प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक स्थलों और वन्यजीव अभ्यारण्यों के चलते यह प्रदेश हर आयु वर्ग के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। चाहे धार्मिक श्रद्धालु हों, इतिहास प्रेमी हों या फिर रोमांचक सफर के शौकीन युवा—मध्यप्रदेश आज देश और दुनिया के सैलानियों की पहली पसंद बनता जा रहा है।

"मध्यप्रदेश में पर्यटन का बढ़ता क्रेज, हर उम्र के सैलानियों को कर रहा आकर्षित"
“मध्यप्रदेश में पर्यटन का बढ़ता क्रेज, हर उम्र के सैलानियों को कर रहा आकर्षित”

प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों का अनूठा संगम

मध्यप्रदेश को ‘हिंदुस्तान का हृदय’ कहा जाता है क्योंकि यह प्रदेश प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों का संगम है। खजुराहो के विश्वप्रसिद्ध मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं, वहीं सांची के स्तूप और भीमबेटका की गुफाएं यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं। यह धरोहरें न केवल इतिहास के विद्यार्थियों को बल्कि हर आयु वर्ग के लोगों को आकर्षित करती हैं।

धार्मिक पर्यटन का केंद्र

प्रदेश धार्मिक पर्यटन का भी एक बड़ा केंद्र है। उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, ओंकारेश्वर, चित्रकूट और अमरकंटक जैसे पवित्र स्थल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं। हाल ही में महाकाल लोक कॉरिडोर के निर्माण के बाद उज्जैन ने पर्यटन के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई है। इन स्थलों पर वृद्धजन और पारिवारिक पर्यटक विशेष रूप से बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।

रोमांच और वन्यजीव प्रेमियों की पसंद

वन्यजीव अभ्यारण्य और नेशनल पार्क मध्यप्रदेश की खास पहचान हैं। कन्हा, बांधवगढ़, पेंच और सतपुड़ा जैसे राष्ट्रीय उद्यान न केवल भारत बल्कि विदेशी सैलानियों के बीच भी लोकप्रिय हैं। यहां बाघ, तेंदुआ और अन्य दुर्लभ प्रजातियों को देखने का रोमांच हर उम्र के लोगों को खास अनुभव कराता है। एडवेंचर टूरिज्म में रुचि रखने वाले युवा यहां सफारी, ट्रैकिंग और कैम्पिंग का आनंद लेते हैं।

पर्यटन अवसंरचना पर जोर

राज्य सरकार लगातार पर्यटन अवसंरचना को मजबूत करने पर जोर दे रही है। एयरपोर्ट, सड़क और रेलवे कनेक्टिविटी में सुधार से देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटकों का आना आसान हो गया है। साथ ही, होटलों और रिसॉर्ट्स की बढ़ती संख्या से हर बजट के पर्यटक आसानी से अपनी यात्रा का आनंद ले पा रहे हैं। डिजिटल प्रमोशन और विभिन्न पर्यटन मेलों के जरिए मध्यप्रदेश को एक आकर्षक गंतव्य के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

हर वर्ग के लिए आकर्षण

मध्यप्रदेश का पर्यटन हर आयु वर्ग के लोगों को कुछ न कुछ खास देने का माद्दा रखता है। बच्चों के लिए जहां राष्ट्रीय उद्यान और जीव-जंतु देखने का रोमांच है, वहीं युवाओं के लिए एडवेंचर टूरिज्म और ट्रेकिंग के विकल्प मौजूद हैं। बुजुर्गों और धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए तीर्थस्थल विशेष महत्व रखते हैं। इसके अलावा इतिहास और कला प्रेमियों के लिए संग्रहालय और स्थापत्य धरोहरें किसी खजाने से कम नहीं।

आर्थिक और सामाजिक असर

पर्यटन बढ़ने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा सहारा मिला है। स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं और हस्तशिल्प तथा पारंपरिक कला को नया बाजार मिल रहा है। पर्यटक यहां की संस्कृति, खानपान और लोककला से भी रूबरू हो रहे हैं, जिससे प्रदेश की पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत हो रही है।

यूनेस्को की लिस्ट में 18 पर्यटन स्थल

यूनेस्को की लिस्ट में 18 पर्यटन स्थल

सांची, खजुराहो और भीमबेटका जैसी विश्वविख्यात धरोहर हमारी वैश्विक सांस्कृतिक पहचान हैं। अब यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खूनी भंडारा, चंबल के पत्थर कला स्थल, भोजेश्वरा महादेव मंदिर भोजपुर, रामनगर मंडला के गोंड स्मारक और मंदसौर का धमनार भी जुड़ने की तैयारी में हैं। इसके अलावा नर्मदा परिक्रमा, गोंड चित्रकला और भगोरिया उत्सव भी पर्यटन के नक्शे पर प्रमुखता से उभरे हैं। मध्यप्रदेश ऐसा अग्रणी राज्य बन चला है, जिसने सबसे ज्यादा 18 स्थलों को विश्व विरासत सूची में शामिल करने की पहल की है।

तीन हजार करोड़ के मिले निवेश प्रस्ताव

प्रदेश में अधोसंरचना मजबूत होने, सड़क संपर्क में निरंतर सुधार होने और केन्द्र सरकार के सहयोग से रेल सुविधाओं के बढ़ने से पर्यटन क्षेत्र और उद्योग को लाभ मिला है। इस क्षेत्र में निवेश निरंतर बढ़ रहा है। हाल में रीवा पर्यटन कॉन्क्लेव में तीन हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले। पर्यटन स्थलों पर सुविधाएं निरंतर बढ़ाई जा रही हैं। पीएमश्री पर्यटन वायु सेवा की शुरुआत हुई है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रीवा, सतना और सिगरौली के मध्य वायु सेवा का संचालन हो रहा है।

भगवान श्रीराम को दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर

ओरछा में भगवान श्रीराम का मंदिर है। यह विश्व का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान को राजा के रूप में गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। यह अभूतपूर्व आध्यात्मिक घटनाक्रम है। यहां भगवान श्रीराम राजा की सरकार स्थापित है। ग्वालियर के ऐतिहासिक भव्य किले के संबंध में उल्लेख मिलता है कि भारत में पहली बार जीरो का लिखित इस्तेमाल कहां हुआ। ग्वालियर किले में स्थित चतुर्भुज मंदिर में शून्य का सबसे शुरुआती शिलालेख पर उकेरा हुआ प्रमाण मिलता है। इस मंदिर को दुनिया में टेंपल ऑफ जीरो के नाम से भी पहचाना जाता है। धार्मिक आयोजनों को नया स्वरूप दिया जा रहा है। बाबा श्रीमहाकाल की दिव्य सवारी को भव्य रूप दिया गया। रक्षा बंधन के त्यौहार और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को सार्वजनिक रूप से प्रदेश के कोने-कोने में मनाया गया।

निष्कर्ष

मध्यप्रदेश अब केवल भौगोलिक रूप से भारत का दिल नहीं रहा, बल्कि यह देश का उभरता हुआ पर्यटन केंद्र बन चुका है। सरकार के प्रयासों और प्रदेश की अनूठी धरोहरों के कारण यहां पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आने वाले वर्षों में यह प्रदेश न सिर्फ भारत बल्कि विश्व पर्यटन मानचित्र पर भी अपनी मजबूत पहचान कायम करने की क्षमता रखता है।

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