बसपा को बड़ा झटका, सपा में शामिल हुए दद्दू प्रसाद !

 मायावती की सरकार में मंत्री रहे दद्दू प्रसाद ने अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है...

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2007 में मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे दद्दू प्रसाद ने आज सोमवार को समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। सपा मुखिया अखिलेश यादव की मौजूदगी में दद्दू प्रसाद ने सपा का दामन थामा।दद्दू प्रसाद मौजूदा समय सामाजिक परिवर्तन मिशन के राष्‍ट्रीय संयोजक थे।दद्दू प्रसाद के अलावा कई अन्‍य महत्‍वपूर्ण नेताओं ने सोमवार को सपा की सदस्‍यता ली।

बसपा को बड़ा झटका, सपा में शामिल हुए दद्दू प्रसाद !
बसपा को बड़ा झटका, सपा में शामिल हुए दद्दू प्रसाद !

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि आज बहुत खुशी की बात है,सपा में बड़ी संख्‍या में लोग सदस्‍यता ले रहे हैं।ये सभी साथी पीडीए,देश के संविधान और अर्थव्‍यवस्‍था को बचाने की लड़ाई में साथ देने, किसानों और बहुजन समाज के लोगों को सम्‍मान दिलाने के लिए साथ आए हैं। साथ ही अखिलेश यादव ने सोमवार को लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस की। अखिलेश ने वक्फ बिल और राणा सांगा विवाद पर प्रदेश की योगी सरकार की कड़ी आलोचना की।अखिलेश ने 2027 में योगी सरकार की विदाई का दावा करते हुए कहा कि दो साल बाद जब बीजेपी की सरकार चली जाएगी, तो गरीबी खत्म हो जाएगी।

मायावती को बड़ा झटका, सपा में शामिल हुए बसपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री
मायावती को बड़ा झटका, सपा में शामिल हुए बसपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री

अखिलेश यादव ने पार्टी सांसद रामजी लाल सुमन के घर हुए हमले को लेकर कहा कि यदि सांसद के साथ कोई घटना होती है तो कोई और नहीं मुख्‍यमंत्री खुद जिम्‍मेदार हैं।अखिलेश यादव हिटलर का नाम लेते हुए कहा कि जिस तरह उस जमाने में ट्रूपर्स होते थे उसी तरह इन लोगों ने हिडेन अंडर ग्राउंड फौज तैयार की है,जो समय -समय पर लोगों को अपमानित कर रही है। थानों-तहसीलों में अपमानित कर रही है। भाजपा पर हमला बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा के लोग अपनी योजनाओं को बताने में कभी नहीं थकते।आज मुद्रा योजना के 10 साल पूरे हो रहे हैं,लेकिन इतने सालों में इस योजना ने कोई प्रभाव नहीं छोड़ा है। अखिलेश यादव ने मुद्रा योजना के 10 साल पूरे होने पर भाजपा से 10 सवाल पूछते हुए कहा कि भाजपा आंकड़े बहुत बताती है,लेकिन आंकड़े कहां से आए ये नहीं बताती।

अखिलेश यादव ने पूछा कि क्‍या सच में मुद्रा योजना के तहत 52 करोड़ लोगों को मुद्रा योजना का पैसा मिला।यदि यह सत्‍य है तो मुद्रा ऋण लेने वालों यदि 2 लोगों को भी रोजगार दिया तो देश में बेरोजगारी शून्‍य होनी चाहिए। अखिलेश यादव ने कहा कि मुद्रा योजना और बेरोजगारी के आंकड़ों में विसंगति नज़र आती है।दोनों ही आंकड़े सरकारी हैं।मुद्रा योजना या बेरोजगारी,दोनों में से किसके आंकड़े गलत हैं। मुद्रा योजना लोन के तहत 33 लाख करोड़ रुपए किसके खाते में गए हैं।

प्रेस वार्ता में अलग-अलग मुद्दों और सवालों पर बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जब से भाजपा अयोध्या हारी है तब से अमर्यादित टिप्पणी करने लगी है।अखिलेश ने कहा कि अमेरिका की तरह सरकार क्या चीन पर पाबंदी लगाएगी। अखिलेश ने कहा कि यूपी में सपा की सरकार बनने पर लोकभवन में कुछ और मूर्तियां अटल जी के साथ लगेंगी।मंत्री संजय निषाद पर एक सवाल के जवाब में अखिलेश ने कहा कि वे किसी कन्‍फ्यूजन में न रहें।भाजपा में उन्‍हें ऐसे जकड़ लिया गया है कि अपना स्वाभिमान छोड़ना पड़ा है।

कौन हैं दददू प्रसाद ?

कौन हैं दददू प्रसाद ?
कौन हैं दददू प्रसाद ?

दददू प्रसाद यूपी की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वह बहुजन समाज पार्टी में लंबे समय तक सक्रिय रहे और पार्टी के मजबूत स्तंभ माने जाते थे। वे मायावती सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं और दलित राजनीति में उनका खासा प्रभाव माना जाता है। उनका सपा में जाना न सिर्फ BSP के लिए झटका है बल्कि समाजवादी पार्टी के लिए आगामी चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक लाभ भी हो सकता है।

दद्दू प्रसाद का राजनीतिक करियर 

दद्दू प्रसाद 2007 में तीसरी बार इसी सीट से चुनाव लड़े, जीते और फिर बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. मंत्री रहते हुए उनके ऊपर एक महिला से यौन उत्पीड़न का आरोप लगा. कोर्ट से 156/3 से केस दर्ज हुआ. मामले में दहू का PA जेल गया. हालांकि, पुलिस जांच में दहू को बरी कर दिया गया.

दहू प्रसाद ने अपनी पार्टी बनाई

दहू प्रसाद ने अपनी पार्टी बनाई
दहू प्रसाद ने अपनी पार्टी बनाई

जिसके बाद दद्दू प्रसाद ने अपनी पार्टी बना ली. 2017 में अपनी पार्टी से मऊ मानिकपुर से चुनाव लड़े, महज 9 हजार वोट पाए, जमानत जप्त हो गई. तब उनका चुनाव चिन्ह चारपाई था. तब से दहू राजनीति में निष्क्रिय रहे. कभी चंद्रशेखर से मिले, कभी अखिलेश से, अब जाकर सियासत में रंगत आती दिख रही.

हालांकि, 2022 में ही नरैनी विधानसभा से सपा से टिकट की चर्चा रही, लेकिन पटेल यानी कुर्मी समाज ने विरोध किया तो अखिलेश ने दहू का टिकट काट दिया था. दस्यु ददुआ के मरने के बाद पटेल समाज दहू से नाराज रहता है. क्योंकि, बसपा की सरकार में ही ददुआ मारा गया गया था, तब दद्दू कैबिनेट मंत्री थे. दहू पर आरोप है कि ददुआ के एनकाउंटर में उनका भी हाथ था.

अखिलेश की रणनीति साफ

अखिलेश की रणनीति साफ
अखिलेश की रणनीति साफ

दरअसल लोकसभा चुनाव – 2024 में अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले को जीत मिली थी. दलित-पिछड़ा और अल्पसंख्यक समीकरण अखिलेश यादव के पक्ष में गया था. ऐसे में अखिलेश अब अपने इस पीडीए फॉर्मूले को और मजबूती दे रहे हैं. साल 2027 विधानसभा चुनाव में सपा चीफ पीडीए फॉर्मूला को अपना सबसे मजबूत सियासी हथियार बनाना चाहते हैं. ऐसे में वह बड़े दलित-बहुजन चेहरे वाले नेताओं को सपा में लाकर बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.

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