दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शुक्रवार को कथित क्लासरूम घोटाला मामले में एसीबी के दफ्तर में पेश हुए। वहीं आम आदमी पार्टी ने इस मामले को लेकर बीजेपी पर हमला बोला है।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से कथित “क्लासरूम निर्माण घोटाला” मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने पूछताछ की है। यह मामला उन स्कूलों में निर्माण कार्यों से जुड़ा है, जहां कथित रूप से बजट से अधिक राशि खर्च की गई। सिसोदिया पहले से ही दिल्ली शराब नीति केस में जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं और फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
पूछताछ को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की मंत्री आतिशी ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

“यह कोई घोटाला नहीं है, यह बीजेपी की घबराहट है। वह दिल्ली की शिक्षा क्रांति से डरती है, इसलिए सिसोदिया को निशाना बनाया जा रहा है।”
आतिशी ने दावा किया कि मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ऐतिहासिक सुधार हुए, जिससे देशभर में दिल्ली मॉडल की चर्चा हुई।
उन्होंने कहा,
“जब बीजेपी अपने राज्यों में एक अच्छा स्कूल नहीं बना पाई, तो उसने तय किया कि दिल्ली में अच्छे स्कूल बनाने वालों को जेल भेजो।”
AAP का आरोप है कि बीजेपी लगातार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को फंसाने और उन्हें बदनाम करने में लगी है। आतिशी ने यह भी कहा कि ACB और अन्य एजेंसियां अब तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं ला पाई हैं, और यह पूरी कार्रवाई सिर्फ राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है।

दूसरी ओर, बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि जनता के पैसों से स्कूलों में घटिया निर्माण कार्य कराए गए, और कई ठेकेदारों को नियमों के खिलाफ ठेके दिए गए।
इस पूरे मामले में अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि ACB की आगे की कार्रवाई क्या होगी और क्या इस मामले में मनीष सिसोदिया के खिलाफ कोई नया मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
यह विवाद ऐसे समय में तूल पकड़ रहा है जब दिल्ली में सियासी तापमान पहले ही शराब नीति और लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद गरमाया हुआ है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला आने वाले समय में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच टकराव को और बढ़ा सकता है।
मनीष सिसोदिया ने आरोप को राजनीति से प्रेरित बताया
एसीबी के सामने पेश होने से पहले मनीष सिसोदिया ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है। सिसोदिया ने कहा कि भाजपा झूठे आरोप लगा रही है। हमने उत्कृष्ट स्कूल बनाए। भाजपा सरकार स्कूलों के प्रबंधन में खराब है। दिल्ली में जलभराव है और बिजली कटौती हो रही है। भाजपा महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। सिसोदिया ने दावा किया कि इस मामले में कुछ भी नहीं निकलेगा। मैं इस मामले में एसीबी के समक्ष तथ्य रखूंगा।
2000 करोड़ का घोटाला क्या है
यह मामला करीब 2000 करोड़ रुपये के कथित घोटाले से जुड़ा है, जो 12,748 क्लासरूम और इमारतों के निर्माण में सामने आया है. ACB की जांच में खुलासा हुआ है कि क्लासरूम्स को Semi-Permanent Structure (SPS) रूप में बनाया गया, जिसकी उम्र 30 साल होती है, लेकिन इसकी लागत RCC (Pucca) क्लासरूम्स के बराबर निकली, जिसकी उम्र 75 साल होती है. परियोजना का ठेका 34 ठेकेदारों को दिया गया, जिनमें से अधिकांश का संबंध आप पार्टी से बताया गया है.
बिना टेंडर कैसे बढ़ी लागत
इस मामले में बिना नए टेंडर के कुल Rs. 326.25 करोड़ की लागत बढ़ाई गई, जिनमें Rs. 205.45 करोड़ सिर्फ ‘रिचर स्पेसिफिकेशन’ के कारण खर्च हुए. ACB ने इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17-A के तहत अनुमति मिलने के बाद FIR दर्ज की है. FIR संख्या 31/2025 को IPC की धारा 409, 120-B और POC एक्ट की धारा 13(1) के तहत दर्ज किया गया है.
अब ACB द्वारा एक व्यापक जांच शुरू की गई है, जिससे पूरे घोटाले की सच्चाई सामने लाई जा सके और सभी दोषियों की भूमिका तय की जा सके. ACB प्रमुख मधुर वर्मा ने जानकारी दी कि जांच में अज्ञात सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की भूमिका की भी जांच की जा रही है.
बीजेपी नेताओं ने दर्ज कराई थी शिकायत
इस कथित घोटाले को लेकर भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना, विधायक कपिल मिश्रा और नीलकंठ बक्शी ने शिकायत दर्ज कराई थी. रिपोर्ट के अनुसार, सामान्यतः एक क्लासरूम का निर्माण 5 लाख रुपये में हो सकता था, लेकिन इस परियोजना में यह लागत 24.86 लाख रुपये प्रति कक्षा तक पहुंच गई. CVC की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि SPS निर्माण की लागत Rs. 2292 प्रति वर्ग फीट तक पहुंच गई, जो कि पक्के स्कूल भवनों की लागत Rs. 2044 – 2416 प्रति वर्ग फीट के लगभग बराबर है.
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