ग्रेटर नोएडा में एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान महिला की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस घटना के बाद इलाके के वकील समुदाय में भारी आक्रोश फैल गया है। वकीलों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण एक महिला की जान चली गई। उन्होंने जिला प्रशासन से अस्पताल को तत्काल प्रभाव से सील करने की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, ग्रेटर नोएडा के अल्फा-2 सेक्टर स्थित एक निजी मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में 30 वर्षीय महिला पूजा शर्मा को पेट दर्द की शिकायत के बाद भर्ती किया गया था। परिजनों के मुताबिक, उसे मामूली इलाज की जरूरत थी, लेकिन अस्पताल ने जल्दबाजी में बिना जरूरी जांच किए ऑपरेशन करने का फैसला लिया। ऑपरेशन के कुछ घंटों के भीतर ही महिला की हालत बिगड़ने लगी और बाद में उसकी मौत हो गई।
महिला के पति, जो पेशे से वकील हैं, ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और चिकित्सकीय भूल का आरोप लगाते हुए कहा,
“हमने डॉक्टरों पर भरोसा किया, लेकिन उन्होंने हमारी दुनिया उजाड़ दी। समय रहते सही उपचार किया गया होता तो आज मेरी पत्नी जीवित होती।”
वकील समुदाय का प्रदर्शन
महिला की मौत के बाद जैसे ही यह खबर वकील समुदाय में फैली, ग्रेटर नोएडा कोर्ट परिसर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। सैकड़ों वकीलों ने काली पट्टी बांधकर अदालत का कार्य बहिष्कार किया और अस्पताल के खिलाफ नारेबाजी की। उनका कहना है कि यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा और अस्पतालों की जवाबदेही का सवाल है।
मांगें और ज्ञापन
वकीलों ने जिला मजिस्ट्रेट और सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें निम्नलिखित मांगें शामिल थीं:
- संबंधित अस्पताल को तत्काल प्रभाव से सील किया जाए।
- अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों और स्टाफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो।
- पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए।
- जिले के सभी निजी अस्पतालों की जांच करायी जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा,
“प्राथमिक जांच में लापरवाही के संकेत मिले हैं। मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. सीमा त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है, जो 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपेगा।
अस्पताल का पक्ष
दूसरी ओर, अस्पताल प्रशासन ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उन्होंने सभी मानक चिकित्सा प्रक्रियाओं का पालन किया। अस्पताल के प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा,
“हम इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से बेहद दुखी हैं, लेकिन डॉक्टरों ने अपने स्तर पर पूरी कोशिश की। मरीज की स्थिति पहले से गंभीर थी।”
जनता और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
इस घटना ने आम जनता में भी असंतोष पैदा किया है। सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने निजी अस्पतालों की मनमानी और गैर-जिम्मेदाराना रवैये के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। सोशल मीडिया पर #JusticeForPooja और #SealTheHospital ट्रेंड कर रहा है।
निष्कर्ष
ग्रेटर नोएडा की यह घटना एक बार फिर निजी स्वास्थ्य संस्थानों की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करती है। जहां एक ओर लोग अपनी जान बचाने के लिए अस्पतालों पर निर्भर हैं, वहीं लापरवाही की ऐसी घटनाएं भरोसे को गहरा आघात देती हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितना पारदर्शी और कड़ा रुख अपनाता है और क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाएगा।
यह मामला केवल न्याय का नहीं, बल्कि चिकित्सा व्यवस्था में सुधार की एक पुकार है।
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