भाजपा सांसद मनोज तिवारी कांवड़ यात्रा पर निकल रहे हैं। वह 30 साल बाद कांवड़ यात्रा में भाग लेंगे। आइए जानते हैं उनकी यात्रा कहां से शुरू और समाप्त होगी।
भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और उत्तर-पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी इस वर्ष सावन के पावन महीने में एक विशेष आध्यात्मिक यात्रा पर निकलने जा रहे हैं। वे करीब 30 साल बाद दोबारा कांवड़ यात्रा करने जा रहे हैं, जिसकी जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया और मीडिया से बातचीत के दौरान दी। यह खबर सामने आते ही उनके प्रशंसकों और धार्मिक श्रद्धालुओं में उत्साह की लहर दौड़ गई है।

30 साल बाद फिर शिवभक्ति का बुलावा
मनोज तिवारी ने बताया कि उन्होंने करीब 30 साल पहले कांवड़ यात्रा की थी, जब वे छात्र जीवन में थे और उत्तर प्रदेश के भोजपुर क्षेत्र में रहते थे। तब से लेकर आज तक उन्होंने शिवभक्ति के भाव कभी नहीं छोड़े, लेकिन व्यस्तताओं के चलते यात्रा नहीं कर पाए। इस बार उन्होंने निश्चय किया है कि वे फिर से बाबा भोलेनाथ की शरण में जाएंगे और जल चढ़ाकर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करेंगे।

इस मंदिर में करेंगे जलाभिषेक
मनोज तिवारी इस बार उत्तराखंड के हरिद्वार से गंगाजल लेकर पैदल यात्रा पर निकलेंगे और उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर स्थित विंध्याचल क्षेत्र में त्रिकालेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे। यह मंदिर धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और स्थानीय मान्यता के अनुसार यहां भगवान शिव की त्रिकालदर्शी शक्ति विद्यमान है।
उन्होंने कहा, “इस यात्रा से मुझे आत्मिक शांति और ऊर्जा मिलेगी। मैं चाहता हूं कि इस बार की कांवड़ यात्रा मेरे लिए आत्मचिंतन और भक्ति का माध्यम बने।”
तैयारी में जुटा दल
मनोज तिवारी की इस यात्रा के लिए विशेष तैयारी की जा रही है। सुरक्षा की दृष्टि से उनके साथ एक छोटा पुलिस दल भी रहेगा, साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं की एक टोली पैदल यात्रा में उनका साथ देगी। उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर “#KawadWithManojTiwari” हैशटैग के साथ इस यात्रा को लेकर उत्साह जताना शुरू कर दिया है।
आध्यात्मिक रूप से जागरूक नेता की छवि
मनोज तिवारी न केवल अभिनेता और सांसद के रूप में लोकप्रिय हैं, बल्कि वे एक आध्यात्मिक रूप से जागरूक व्यक्ति के रूप में भी जाने जाते हैं। चाहे राम मंदिर आंदोलन हो, या शिवरात्रि, नवरात्रि जैसे पर्व, वे हमेशा धार्मिक आयोजनों में सक्रिय रहते हैं। इस कांवड़ यात्रा को लेकर भी लोगों में यह भाव है कि एक लोकनेता यदि इस प्रकार की भक्ति में जुड़ता है, तो वह समाज को सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों से जोड़ने का भी कार्य करता है।
मीडिया से बातचीत में कही ये बातें
प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, “आज का समय बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। राजनीति, समाज और निजी जीवन में हमें आध्यात्मिक संतुलन की आवश्यकता है। शिवभक्ति मेरे जीवन का आधार रही है। यह यात्रा कोई प्रदर्शन नहीं, बल्कि मेरे मन का भाव है। मैं अपने देश और समाज की खुशहाली के लिए भी प्रार्थना करूंगा।”
धार्मिक यात्राओं में बढ़ रही राजनेताओं की भागीदारी
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में कई राजनेता धार्मिक यात्राओं में हिस्सा लेकर सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को प्रोत्साहित कर रहे हैं। चाहे वह अमरनाथ यात्रा हो, राम मंदिर दर्शन या फिर कांवड़ यात्रा—इन आयोजनों में बढ़ती भागीदारी आम जनता को भी उत्साहित करती है।
निष्कर्ष
मनोज तिवारी की 30 साल बाद होने वाली कांवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि समाज को एक सकारात्मक संदेश देने की पहल भी है। भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति और आस्था आज भी उतनी ही गहरी है, जितनी युवावस्था में थी। उनकी यह यात्रा लाखों श्रद्धालुओं और उनके प्रशंसकों को एक आध्यात्मिक प्रेरणा देने का काम करेगी। सभी की निगाहें अब इस भक्ति यात्रा पर टिकी हैं, जिसमें एक लोकनेता, एक कलाकार और एक आस्तिक का रूप एक साथ देखने को मिलेगा।
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