तेजस्वी यादव का बड़ा दावा: ‘नाम गायब’, चुनाव आयोग ने किया खंडन !

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बयान देते हुए कहा है कि नए वोटर लिस्ट में उनका नाम नहीं है। इस मामले पर पलटवार करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि तेजस्वी यादव का दावा गलत है। वोटर लिस्ट में उनका भी नाम है। इसे लेकर चुनाव आयोग ने लिस्ट को जारी कर दिया है, जिसमें तेजस्वी यादव का नाम 416वें नंबर पर है।

बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। इस बार मामला वोटर लिस्ट को लेकर है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि उनका नाम मतदाता सूची से गायब है। उन्होंने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए इस मुद्दे को लोकतंत्र पर हमला बताया है। हालांकि, चुनाव आयोग ने उनके इस दावे को ग़लत और भ्रामक करार देते हुए स्पष्ट किया है कि तेजस्वी यादव का नाम पूरी तरह से वोटर लिस्ट में दर्ज है।

तेजस्वी यादव का बड़ा दावा: 'नाम गायब', चुनाव आयोग ने किया खंडन !
तेजस्वी यादव का बड़ा दावा: ‘नाम गायब’, चुनाव आयोग ने किया खंडन !

तेजस्वी यादव का आरोप

तेजस्वी यादव ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने जब वोटर लिस्ट की जांच की तो पाया कि उनका नाम ही सूची में मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि यह केवल उनके साथ नहीं हुआ, बल्कि कई अन्य लोगों के नाम भी गायब हैं। तेजस्वी ने इसे एक साजिश करार दिया और सीधे तौर पर निर्वाचन प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।

 तेजस्वी यादव का आरोप
तेजस्वी यादव का आरोप

उन्होंने कहा:

“अगर मेरी तरह एक पूर्व उपमुख्यमंत्री का नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है, तो आम जनता का क्या होगा? यह लोकतंत्र के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र है।”

तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि यह सब एक राजनीतिक दबाव के तहत किया गया है और केंद्र सरकार की एजेंसियां इसमें भूमिका निभा रही हैं।

चुनाव आयोग का जवाब

तेजस्वी यादव के इस बयान के कुछ ही घंटों बाद चुनाव आयोग ने एक स्पष्ट खंडन जारी किया। आयोग ने कहा कि तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची में पूरी तरह दर्ज है और वह वोट डालने के पात्र हैं।

चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने कहा:

“हमने संबंधित क्षेत्र की वोटर लिस्ट का पुनः परीक्षण किया है। तेजस्वी यादव का नाम उसी पते पर मौजूद है जहां से उन्होंने पहले वोट डाला था। उनका दावा तथ्यहीन और भ्रामक है।”

इसके साथ ही आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे मतदाता सूची जैसे संवेदनशील मुद्दे पर ग़लत जानकारी फैलाने से बचें, क्योंकि इससे जनता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है।

मामला कहां से शुरू हुआ?

तेजस्वी यादव का यह बयान तब आया जब उन्होंने आगामी उपचुनावों की तैयारियों के दौरान अपनी विधानसभा सीट पर मतदाता सूची की समीक्षा की। इसी दौरान उन्होंने कहा कि नाम खोजने पर उन्हें खुद का नाम नहीं मिला, जिसके बाद उन्होंने मीडिया के सामने आकर यह आरोप लगाया।

हालांकि बाद में पत्रकारों और आयोग की टीम ने पुष्टि की कि उनका नाम सूची में न केवल मौजूद है, बल्कि मतदान केंद्र भी वही है जहां वे पूर्व में मतदान करते रहे हैं।

सियासी प्रतिक्रिया

तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई। राजद समर्थकों ने इस पर सवाल उठाए, तो वहीं बीजेपी और जेडीयू नेताओं ने तेजस्वी पर ‘जनता को गुमराह करने’ का आरोप लगाया।

बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा:

“तेजस्वी यादव को अपने घर का पता और बूथ नंबर तक याद नहीं, और दोष दे रहे हैं चुनाव आयोग को। यह बचकाना राजनीति है।”

जेडीयू नेता नीरज कुमार ने कहा:

“तेजस्वी अपने ही बयानों में उलझ रहे हैं। वे सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं।”

निष्कर्ष

तेजस्वी यादव के वोटर लिस्ट से नाम गायब होने का दावा एक बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया है। हालांकि चुनाव आयोग की जांच और स्पष्टीकरण के बाद स्थिति स्पष्ट हो चुकी है कि उनका नाम सूची में मौजूद है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे चुनाव से पहले राजनीतिक बयानबाज़ी और तकनीकी मुद्दों को मिलाकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की जाती है।

जनता के लिए यह ज़रूरी है कि वह किसी भी दावे पर विश्वास करने से पहले तथ्यों की जांच करे, खासकर जब बात लोकतंत्र और मताधिकार जैसे मूलभूत अधिकारों की हो।

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